नेशनल हेल्थ मिशन की राशि से जिले में बनने वाले हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर निर्माण की राशि में गोलमाल के मामले ने तूल पकड़ लिया है। बोचहां, बंदरा, कुढऩी, मुशहरी में निर्माण में गड़बड़ी के बाद पूरे जिले में एक साथ जांच होगी।जानकारी के अनुसार जिले में पिछले दो साल से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर निर्माण का काम चल रहा है।
इस दौरान 380 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का निर्माण कराया गया है। इसपर करीब इस पर करीब 26 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस तरह करोड़ों रुपये का बंदरबांट की गई। सिविल सर्जन डा. यूसी शर्मा ने कहा कि जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यक्रम प्रबंधक से हर पीएचसी का ब्योरा मांगा गया है। उसकी समीक्षा कर विभाग को रिपोर्ट भेजी जाएगी। सीएस ने बताया कि इस मामले में बंदरा के पीएचसी प्रभारी और कुढऩी के स्वास्थ्य प्रबंधक को हटाया गया है।
इस तरह से आया मामला
बंदरा के मुतलुपुर व पटसारा में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के अधूरा निर्माण के बाद उसका उद्घाटन कराया गया। वहां पर जनता की शिकायत के बाद विधायक निरंजन राय ने जब अंदर जाकर देखा तो वह सन्न रह गए। अधूरे सेंटर का उद्घाटन कराने की शिकायत उन्होंने जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक की। उसके बाद कुढऩी में भी बिना निविदा के हेल्थ सेंटर निर्माण की शिकायत स्थानीय विधायक की ओर से जिलाधिकारी को की गई। मुूशहरी के जमालाबाद में भी अधूरा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का निर्माण कराने की शिकायत वहां के पूर्व उपमुखिया सुधीर कुमार पप्पू ने सिविल सर्जन से की है। यहां की अनियमितता की शिकायत राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह के संज्ञान में आया है। वह भी अपने स्तर से जांच करा रहे हैं।
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जिलाधिकारी ने रिपोर्ट तलब की
राज्य स्तर से जांच के बाद पूरे महकमे में खलबली है। बंदरा में पहली गड़बड़ी सामने आने की जानकारी देते हुए गायघाट के विधायक निरंजन राय ने बताया कि बीते 23 जुलाई को वह बंदरा में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में गोलमाल का मामला उठाया। इसकी जानकारी 24 जुलाई को मुख्यमंत्री के पास भेजा। इस मामले में उनके पास सीएमओ से जानकारी आई कि पूरे मामले में जिलाधिकारी ने रिपोर्ट तलब की है। विधायक राय ने कहा कि विधानसभा के सत्र में भी नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से चल रहे निर्माण योजना में लूटखसोट का मामला मजबूती के साथ उठाएंगे। विधायक ने बताया कि सीएस से जो जानकारी मिली उसके हिसाब से एक सेंटर पर सात लाख की राशि खर्च करनी है। जमीन पर हालत यह है कि दो लाख से ज्यादा का काम नहीं दिख रहा है। अगर उच्च स्तरीय जांच हो तो एक बड़ा घोटाला सामने आएगा।