BIHARBreaking NewsNationalPoliticsSTATE

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बिगड़े बोल, कहा- अधिकारी आपकी बात न सुनें, तो उन्हें बांस से मारिए

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह एक बार फिर अपने विवादित बयानों की वजह से सुर्खियों में हैं. अपने संसदीय क्षेत्र बेगूसराय में एक मंच से लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोग कहते हैं कि कोई अधिकारी सुनता नहीं है. जो नहीं सुनता है उसे बांस से मारो. हम किसी अधिकारी को नाजायज काम करने के लिए नहीं कहते हैं और ना किसी अधिकारी की नाजायज हरकत बर्दाश्त करेंगे. गिरिराज सिंह ने खोदावंदपुर कृषि अनुसंधान केंद्र में आयोजित कृषि संगोष्ठी में यह बात कही.

Sponsored

 

गिरिराज सिंह अपने बयानबाजी की वजह से अक्सर सुर्खियां बटोरते रहते हैं. पिछले महीने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था कि राहुल गांधी इटली से बाहर निकल नहीं पाते. उनके दिमाग में सिर्फ इटली रहता है. वे किसानों को भ्रम में डालने का काम कर रहे हैं. उन्हें गेहूं और जौ में फर्क नहीं पता, उन्हें बाछी और बाछा में फर्क नहीं पता उनके कारण देश की बदनामी पूरी दुनिया में हो रही है.

Sponsored

 

केंद्रीय मंत्री ने राहुल गांधी के उस बयान पर टिप्पणी की, जिसमें कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष ने मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय होने की बात कही थी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में पशुपालन, डेयरी के लिए अलग मंत्रालय बनाया. मैं मंत्री के रूप में काम कर रहा हूं. पुडुचेरी में काम चल रहा है. राहुल गांधी को नहीं पता इसका अलग विभाग है. मैं उन्हें बता दूंगा. केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट करके लिखा- ‘राहुल जी ! आपको इतना तो पता ही होना चाहिए कि 31 मई, 2019 को ही मोदी जी ने नया मंत्रालय बना दिया और 20050 करोड़ रुपये की महायोजना (PMMSY) शुरू की जो आजादी से लेकर 2014 के केन्द्र सरकार के खर्च (3682 करोड़) से कई गुना ज्यादा है.’

Sponsored

 

 

बता दें, राहुल गांधी ने पुडुचेरी में किसान आंदोलन और मछुआरों का जिक्र करते हुए कहा था, ‘सरकार ने देश की रीढ़ कहे जाने वाले किसानों के खिलाफ तीन कानून पास किए हैं. आपको हैरानी होगी कि मैं यहां मछुआरों के बीच किसानों की बात क्‍यों कर रहा हूं क्‍यों‍कि मैं आपको ‘समुद्र का किसान’ मानता हूं.’

Sponsored

 

राहुल ने कहा था कि अगर जमीन के किसानों के लिए मंत्रालय हो सकता है तो ‘समुद्र का किसानों’ के लिए क्‍यों नहीं हो सकता.

Sponsored

Comment here