बिहार में जारी शराबबंदी के बीच शराब तस्करी के लिए नई-नई तरकीबें अपनाई जा रही है। शातिरों का अंदाज जान दंग रह जाएंगे आप। दरअसल दिनोंदिन बढ़ती जा रही शराब तस्करी में शराब लदी गाड़ियों को अपने ठिकाना तक पहुंचाने में चालक के साथ बदल दिया जाता है गाड़ी का नंबर प्लेट। एक चालक को 30-40 किलोमीटर गाड़ी चलानी होती है। इसका खुलासा दो दिन पूर्व डेहरी से शराब लदे अल्टो कार के साथ गिरफ्तार किए गए चालक आकाशदीप विश्वकर्मा ने किया।
सासाराम के सहायक उत्पाद आयुक्त तारिक महमूद के समक्ष उसने बताया कि झारखंड से आल्टो पर लोड कर आ रही शराब की गाड़ी उसे शेरघाटी के पास दिया गया था। डेहरी तक ही पहुंचाने के लिए कहा गया था। डेहरी में दूसरे चालक को गाड़ी हैंडओवर करने का निर्देश था। लेकिन उससे पहले ही पकड़ा गया। उसने बताया कि यूपी-झारखंड से शराब लोडकर चलने वाली गाड़ियों का रास्ते में चालक के साथ नंबर प्लेट भी बदल दिया जाता है। ताकि जहां से शराब चला है या चालक छोड़ा है, वह किसी को गाड़ी नंबर के साथ सूचना नहीं दे सके। इसके लिए शराब तस्कर एक गाड़ी को अपने अड्डा तक पहुंचाने के लिए 3-4 नंबर प्लेट का इस्तेमाल करते हैं। गाड़ी के व्यावसायिक नंबर प्लेट रखा जाता है। ताकि कोई उस पर शक नहीं कर सके।
शराब तस्कर हमेशा दूसरे की गाड़ी नंबर को अपने गाड़ी पर लगाते है। उस नंबर का ऑनलाइन सर्च कर पता लगाते है कि वह नंबरप्लेट किसके नाम से है। रास्ते में गाड़ी रोकने पर उसकी मालिक का नाम बताया जाता है। अपने साथी राकेश कुमार व लव पासवान के साथ पकड़ा गया आल्टो चालक ने यह बताया कि हरियाणा से शराब लोडकर आने वाली ट्रकों का भी रास्ते में नंबर प्लेट के साथ चालक को बदल दिया जाता है। ताकि पकड़े जाने पर चालक को पता नहीं है कि गाड़ी कहां से लोड हुई, कौन चलाकर ला रहा था। इस कारण पुलिस या उत्पाद विभाग लगातार शराब लदी गाड़ियों को जब्त करने के बाद भी बड़े तस्करों तक नहीं पहुंच पाती है।
सहायक उत्पाद आयुक्त तारिक महमूद ने खुलासा की जानकारी देते हुए बताया कि शराब तस्कर शराब की खेप को अपने ठिकाने तक पहुंचाने के लिए कई तरह का हथकंडा अपना रहे है। इससे बड़े तस्करों का पता नहीं लग रहा है। लेकिन शराब के साथ गिरफ्तार हो रहे तस्कर जानकारी दे रहे है। जिसके आधार पर शराब की सप्लाई करने वालों तक पहुंचने की तैयारी की जा रही है।
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Input : Hindustan