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सावधान! अब रेमेडिसिविर और ऑक्सीजन के नाम पर फोन कर ठगी, जरूरतमंदों को निशाना बना रहे जालसाज

कोरोना काल में भी ठग बाज नहीं आ रहे हैं। आम लोगों और पीड़ितों से लगातार ठगी की जा रही है। बिहार में इन दिनों रेमेडिसिविर दवा ऑक्सीजन और कौन बनेगा करोड़पति में लॉटरी निकलने के नाम पर जालसाज ठगी कर रहे हैं। बाकायदा वाट्सएप पर इसके लिए मैसेज भेजा जा रहा है। जालसाज सोशल साइट पर किसी जरूरतमंद का नंबर देखते हैं तो तत्काल उस पर कॉल कर वे रेमेडिसिविर या ऑक्सीजन की व्यवस्था करने का दावा करते हैं। जरूरतमंद झांसे में आकर ठगों की बात पर यकीन कर लेते हैं और उनके कहे अनुसार रुपए भी ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। लेकिन बाद में पता चलता है कि जिस नंबर से दवा देने का कॉल आया था, वह फर्जी है।

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सरकारी संस्थानों का लोगो लगा रहे जालसाज
इसी तरह कौन बनेगा करोड़पति में लॉटरी निकलने के नाम पर ठगी की जा रही है। उस शो का लोगो लगाकर ठग मैसेज भेज रहे हैं। उस पर भारतीय स्टेट बैंक सहित कई सरकारी संस्थानों का लोगो भी लगा रहता है, ताकि आम लोग झांसे में आ जाएं। ठग बकायदा एक नंबर जारी करते हैं जिस पर कॉल करने या व्हाट्सएप करने को कहा जाता है। जालसाज लोगों को यह झांसा देते हैं कि उनकी लॉटरी निकली है और रुपए छुड़वाने के लिए उन्हें कुछ पैसे जमा करने होंगे। झांसे में आने वाले लोग ठगों के खाते में रुपए जमा कर देते हैं।

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इंटरनेट नम्बर का इस्तेमाल करते हैं ठग
लॉटरी के नाम पर ठगी करने के लिए जालसाज इंटरनेट के नंबर का इस्तेमाल करते हैं। वाट्सएप पर मैसेज किया जाता है। जालसाज एक ऑडियो भी जारी करते हैं, जिसमें लोगों को पैसे जमा करने की प्रक्रिया समझाई जाती है।

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इन बातों का रखें ध्यान
अगर कोई फोन कॉल कर आपकी मदद करने को कहता है तो आंख बंद कर उस पर भरोसा ना करें। पहले उसकी बात की सत्यता को परख लें। संबंधित व्यक्ति को सामने आकर मदद करने को कहें ना कि फोन कॉल पर। खासकर काम होने से पहले अगर कोई पैसा जमा करने की बात कहे तो उससे सावधान रहने की जरूरत है।

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हाल में हुए कुछ मामलों पर एक नजर
केस 1 

कंकड़बाग के रहने वाले वीरेंद्र कुमार ने बताया कि उनके एक परिजन बीते 15 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुए थे। उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत थी। उन्होंने कई जगहों पर इसके लिए अपने मोबाइल नंबर को डालकर ऑक्सीजन की व्यवस्था करने की गुहार लगाई। इसके कुछ ही देर बाद उनके पास एक व्यक्ति की कॉल आया। उसने ऑक्सीजन की व्यवस्था करने का दावा किया। इसके तुरंत बाद उनसे एडवांस के रूप में दो हजार रुपये मांगे गए। ठग ने एक नंबर दिया जिस पर उसने गूगल पे करने को कहा। वीरेंद्र ने मजबूरीवश पैसे ट्रांसफर कर दिए। इसके कुछ देर बाद जब उन्होंने उस नंबर पर संपर्क किया तो वह स्विच ऑफ बताने लगा। इसके बाद उन्होंने कहीं और से किसी तरह ऑक्सीजन की व्यवस्था कराई।

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केस 2
बीते 18 अप्रैल को पाटलिपुत्र के रहने वाले सुशील कुमार के परिजन कोरोना संक्रमित हुए। उन्हें एक एंटीबायोटिक दवा की जरूरत थी। इसके लिए उन्होंने कई जगहों पर अपने नंबर दिए। तभी किसी ने कॉल कर उन्हें दवा की व्यवस्था कराने की बात कही। इसके बाद सुशील से पैसे ट्रांसफर करने को कहा। कॉल करने वाले ने होम डिलीवरी करने का दावा किया था। लेकिन पैसे ट्रांसफर होने के बाद उसका मोबाइल आउट ऑफ रीच आने लगा।

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Input: Hindustan

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