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बिहार में बदलेगा शराबबंदी कानून, पकड़े जाने पर पुलिस नहीं करेगी गिरफ्तार, फाइन लेगी छोड़ देगी

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PATNA- पहली बार यदि शराब पीते हुए पकड़े गए तो ऑन स्पॉट फाइन लेकर ही छोड़ दिया जाएगा, 2018 में जमानत का प्रावधान हुआ, नए प्रस्ताव में होगा यह बदलाव, सीसीए (क्राइम कंट्रोल एक्ट): डीएम भेजते हैं राज्य सरकार को प्रस्ताव, शराब के हार्डकोर धंधेबाजों और आदतन पीने वालों पर लगेगा सीसीए… यानी जमानत नहीं, सामान्य मामलों में मिलेगी राहत, अपराध की गंभीरता के आधार पर तय होगी सजा। शराब के धंधे में पकड़े गए वाहन जब्ती के बाद पैनल्टी लेकर छोड़ने की व्यवस्था। शराब बेचने व पीने के आरोप में पकड़े गए लोगों के लिए अलग-अलग कोर्ट।

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शराब बंदी कानून को लेकर सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के टिप्पणी के बाद राज्य सरकार ने मद्य निषेध कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव तैयार किया है। नए प्रस्ताव के अनुसार शराब पीते पकड़े जाने पर पुलिस या मद्य निषेध विभाग के अधिकारी ऑन द स्पॉट फैसले लेकर छोड़ सकेंगे। लेकिन रिपीटेड जुर्म करने वालों को को जेल भेजे जाने का भी प्रावधान का प्रस्ताव है। शराब से संबंधित सामान्य मामलों में राहत देने पर भी विचार चल रहा है। शराब के धंधे में पकड़े गए वाहन जब्ती के बाद पैनल्टी लेकर छोड़ने का भी प्रावधान नए संशोधन में हो सकता है। वहीं, शराब से संबंधित मामलों के जल्द निपटारे के लिए जिलों में न्यायालय की संख्या बढ़ाने की भी व्यवस्था हो सकती है। संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर इससे गृह और विधि विभाग के पास भेजा गया है। सूत्रों का कहना है कि आगामी बजट सत्र में इसे पेश भी किया जा सकता है।

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बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क (संशोधन) कानून2018 के तहत शराब पीते हुए पकड़े जाने के अपराध को जमानती बनाया गया। शराब पीते हुए पकड़े जाने पर पुलिस स्टेशन में ही जमानत का प्रावधान है। वहीं, 50,000 रुपए का जुर्माना अदा करने के बाद दोषी को रिहा का प्रावधान है जबकि मूल कानून में 10 साल की जेल का प्रावधान था।

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वैसे अपराधियों पर लगाया जाता है जो आदतन अपराधी होते हैं, जिन्होंने दो वर्षों के अंदर दो से अधिक अपराध किया हो। साथ ही अगर वे जेल में हैं और उनके जमानत पर बाहर आने से अपराध करने का खतरा या आशंका बनी रहती है। सीसीए लगाने के लिए डीएम संबंधी व्यक्ति या अपराधी के खिलाफ उसके आपराधिक इतिहास के साथ प्रस्ताव भेजते हैं। इस प्रस्ताव पर एडवाइजरी बोर्ड विचार करता है और उसकी सहमति के बाद राज्य सरकार सीसीए लगाती है। पिछले दिनों गृह विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि वे सीसीए के तहत किसी भी अपराधी पर पहली बार में अधिकतम तीन माह के लिए ही निरुद्धादेश लगाएं। इसके बाद भी आवश्यक हो तो हर बार अधिकतम तीन माह तक का ही आदेश दिया जाएगा।

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Abhishek Anand

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