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बिहार उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे प्रदेश अध्यक्षों की तकदीर, राजद-भाजपा के लिए निर्णायक होगा परिणाम

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव के नतीजे रविवार को आने हैं, जिसके बाद दो बड़े दलों राजद एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों की तकदीर भी तय हो जाएगी। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पिछले एक महीने से शीर्ष नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं और कार्यालय आना-जाना भी छोड़ दिया है, जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कार्यकाल सितंबर में ही पूरा हो चुका है। उनके विकल्प पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इंतजार उपचुनाव के नतीजों का है।

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भाजपा-राजद की सीधी भिड़ंत

बिहार विधानसभा की मोकामा और गोपालगंज सीटों पर मतदान तीन नवंबर को ही संपन्न हो गया। दोनों सीटों पर भाजपा एवं राजद में सीधी भिड़ंत है। इस लिहाज से दोनों दलों में कई महत्वपूर्ण कार्य पिछले कुछ महीनों से टाला जाता रहा है। भाजपा को लोकसभा चुनाव के लिहाज से बिहार में तैयारी करनी है। इस बीच जदयू से गठबंधन टूटने के बाद प्रदेश में भाजपा विपक्ष की भूमिका में आ गई है।

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हार-जीत दोनों के मायने होंगे

प्रदेश अध्यक्ष के रूप में संजय जायसवाल का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। बदली परिस्थितियों में भाजपा को ऐसे नेता को बिहार की कमान सौंपनी है, जिससे सामाजिक समीकरण को साधा जा सके। उपचुनाव के नतीजे से भाजपा को इतना स्पष्ट हो जाएगा कि किस-किस समूह ने उसके पक्ष में मतदान किया है और किस-किसने नहीं। ऐसे में हार-जीत दोनों के मायने होंगे।

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चिराग फैक्टर का भी चलेगा पता

अंतिम समय में लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान के भाजपा के पक्ष में खुलकर आने का भी असर होगा। इससे एक समुदाय से भाजपा निश्चिंत हो सकती है और प्रदेश अध्यक्ष के लिए नए समीकरणों पर विचार कर सकती है। इसी तरह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बारे में फैसला लेने के लिए तेजस्वी को भी चुनाव परिणाम का इंतजार है। दोनों सीटों पर समीकरण प्रभावित होने से बचते हुए अभी तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है।

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जगदानंद के विकल्प की तलाश संभव

लालू प्रसाद के करीबी और पुराने समाजवादी नेता जगदानंद को राजद ने लगातार दूसरी बार प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपी है। राजपूत जाति के जगदानंद को तेजस्वी यादव के एटूजेड (सबका साथ) नारे के अनुकूल माना जा रहा था। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन की नई सरकार में जगदानंद के पुत्र सुधाकर सिंह को तेजस्वी ने कृषि मंत्री की जिम्मेवारी दी, लेकिन वह पहले दिन से नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा करने लगे। तेजस्वी को यह नागवार गुजरा। सुधाकर को समझाने और रास्ते पर लाने का जिम्मा लालू ने जगदानंद को दिया, लेकिन नतीजा उल्टा निकला। उन्होंने कार्यालय आना-जाना छोड़ दिया। यहां तक कि बिहार से बाहर पहली बार दिल्ली में राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से भी उन्होंने दूरी बना ली। धीरे-धीरे लालू परिवार और जगदानंद के बीच की दूरी बढ़ती गई। उपचुनाव के नतीजों के बाद बहुत संभव है जगदानंद के विकल्प की तलाश कर ली जाए।

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