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पिथौरागढ़ की शीतल ने इतिहास रचा, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर 15 अगस्त को फहराया तिरंगा

हर पर्वतारोही माउंट एल्ब्रुस पर चढ़ने का ख्वाब देखता है, लेकिन वहां पहुंचने के लिए फौलाद जैसे कलेजे की जरूरत पड़ती है माउंट एल्ब्रुस के 5,642 मीटर ऊंचे शिखर तक पहुंचने के लिए पर्वतारोहियों को ऐसे कठिन हालात से गुजरना पड़ता है, जहां उनकी जान हमेशा खतरे में रहती है…लेकिन पहाड़ की बेटी शीतल राज ने अपने पहाड़ जैसे हौसले से हर चुनौती पर जीत हासिल कर ली, सोर घाटी के नाम से पहचाने जाने वाली पिथौरागढ़ की बेटी शीतल

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यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस जीत हासिल कर ली, ये केवल शीतल की जीत नहीं है, बल्कि पहाड़ की हर उस बेटी की जीत है जो कि विषम परिस्थियों और संघर्ष में भी अपने सपनों को उड़ान देने में जुटी हुई है…अपनी अलग पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही है, शीतल ने एवरेस्ट व कंचनजंगा और अन्नपूर्णा जैसे दुर्गम पर्वतों को फतह किया है। साथ ही शीतल के नाम सबसे कम उम्र में कंचनजंगा और अन्नपूर्णा फतह का रिकार्ड है।

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आपको बता दें 15 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 5 मिनट पर शीतल ने माउंट एल्ब्रुस पर भारतीय झंडा फहराया शीतल ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रदेश ही नहीं पूरे भारत को गर्व के पल दिए हैं। सबसे कम उम्र में कंचनजंगा और अन्नपूर्णा चोटी को फतह कर चुकी 25 वर्षीय शीतल ने अब यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा लहराया है। यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहरा कर आजादी का जश्न मनाने वाली टीम में चार लोग शामिल थे

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क्लाइम्बिंग बियॉन्ड द समिट्स की ओर से आयोजित इस टीम को शीतल ही लीड कर रही थीं। शीतल ने बताया कि 48 घंटे के अंदर बेस कैंप से समिट करना बहुत ही मुश्किल था।लेकिन एल्ब्रुस जाने से पहले शीतल और उसकी टीम ने उत्तराखंड के हिमालय में पर्याप्त ट्रेनिंग की थी और इसी का नतीजा था की टीम रिकॉर्ड समय पर सम्मिट कर पायी। वहीं अब शीतल का लक्ष्य दुनिया की 14 सबसे ऊंची आठ हजार मीटर ऊंचे पर्वत और दुनिया के सातों महाद्वीपों.

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Input: Daily Bihar

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