Sponsored
ADMINISTRATION

नासा के प्रोजेक्ट में शामिल हुआ बिहार का युवा वैज्ञानिक हर्ष राजपुत, रॉकेट के चिप पर लिखाया नाम

Sponsored

PATNA-नासा के प्रोजेक्ट आर्टेमिस 1 का हिस्सा बना हर्ष, रॉकेट पर लगने वाली चिप पर अंकित हुआ नाम, लाकडाउन में पटना के हर्ष ने बनाया पर्सनल रडार & पॉकेट फ्रेंडली कैमरा : अंतरिक्ष, स्पेस स्टेशन, गैलेक्सी, उपग्रह और चांद को नजदीक से देखना हर उस बच्चे का सपना होता है, जो अंतरिक्ष यात्री बनना चाहता है लेकिन संसाधनों की कमी के कारण अक्सर यह सपने अधूरे रह जाते हैं। यह कहना है पटना के रहने वाले 17 वर्षीय हर्ष का जिसका नासा के प्रोजेक्ट आर्टेमिस 1 के लिए चयन हुआ है। आर्टेमिस नासा का एक स्पेस प्रोग्राम है, जिसमें पहली बार एक महिला और एक अश्वेत पुरुष को चांद पर भेजा जाएगा। इस रॉकेट पर लगने वाली चिप पर हर्ष और उस जैसे कई बच्चों का नाम होगा। जिन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में अपने अनोखे प्रोजेक्ट पेश किए हैं। हर्ष की इस कामयाबी से पूरा परिवार खुश है, उन्हें उम्मीद नहीं थी कि हर्ष का नाम अंतरिक्ष में जाएगा। हर्ष पिछले डेढ़ साल से रोबोटिक्स और विज्ञान से जुड़ी प्रतियोगिताओं में भाग ले रहा है।

Sponsored

चांद के चारों ओर घूमेगा राकेट
आर्टेमिस के पहले चरण में एक रॉकेट को भेजा जाएगा। इसका काम होगा कि वह यह पता करे कि चांद पर उतरना अभी सुरक्षित है कि नहीं। एस्ट्रोनॉट के जाने से पहले वह यूएसबी की तरह काम करेगा, जितने भी प्रतिभागी हैं, जो विज्ञान के क्षेत्र में लगातार काम करते रहते हैं। उन सभी का नाम होगा जो चांद के ईद-गिर्द घूमेगा। यह इस साल फ्लोरिडा के स्पेस स्टेशन से मई में लॉन्च होगा।

Sponsored

आर्टेमिस स्पेस प्रोग्राम
नासा की वेबसाइट के अनुसार, आर्टेमिस एक स्पेस प्रोग्राम है जिसमें पहली बार एक महिला और एक अश्वेत एस्ट्रोनॉट चांद पर कदम रखेंगे। अगर यह सफल होती है आने वाले वक्त में नासा अपने एस्ट्रोनॉट को मंगल ग्रह पर भी भेजेगा।

Sponsored

…फ्यूचर इंजीनियर से हुआ सलेक्शन
नासा कई वेबसाइट के साथ मिलकर विज्ञान से जुड़ी प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है। इन वेबसाइट्स पर सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि स्कॉलर भी हिस्सा लेते हैं। अपने नए आइडिया को दुनिया के सामने प्रस्तुत करते हैं। इन्हीं कॉम्पिटिशन की वजह से हर्ष का नासा के रॉकेट चिप के लिए सलेक्शन हुआ है।

Sponsored

हर्ष बताते हैं कि बचपन से विज्ञान में दिलचस्पी रही पर संसाधन सीमित थे। पापा ई रिक्शा चालक हैं, इसलिए सीमित पैसों में ही सबकुछ करना होता है। जब मैं दसवीं में था तब लॉकडाउन लग गया। तब मैंने अपना समय बर्बाद करने की जगह, अपने पसंदीदा विषय को वक्त दिया। लॉकडाउन के दौरान रोबाेटिक्स से जुड़े कुछ कोर्स किए। कई वेबसाइट हैं जो रोबोटिक्स कम पैसों में सिखाती हैं। यही से मैंने रोबोटिक्स के जुनून को आगे बढ़ाया। मैंने घर के सामान और कुछ चीजें को मिलाकर पहला पर्सनल रडार बनाया। फिर यूट्यूब से चीजें सीखीं और पॉकेट फ्रेंडली कैमरा बनाया यह मेरा पहला रोबोट है। यह अंतरिक्ष में जाने के लिए बनाया गया था। इसका काम यह था कि अगर रॉकेट के सामने कोई बाधा आए तो उसकी जानकारी सीधे स्पेस स्टेशन को दी जाएगी। इन्ही प्रोजेक्ट को अलग- अलग वेबसाइट पर डालने लगा।

Sponsored
Sponsored
Abhishek Anand

Leave a Comment
Sponsored
  • Recent Posts

    Sponsored