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काबुल एयरपोर्ट पर फंसे सैकड़ों भारतीय, बोले- यहां कोई सुनने वाला नहीं, फ्लाइट का भी कुछ पता नहीं

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों की मुश्किलें बेतहाशा बढ़ गईं हैं। ये लोग वतन वापसी चाहते हैं, लेकिन बदइंतजामी के चलते नाराज हैं। इन लोगों का एक वीडियो सामने आया।

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इसमें ये कहते हैं- यहां कोई कुछ सुनने वाला नहीं है। हमारा फोन भी नहीं उठाया जा रहा और फ्लाइट्स का भी कुछ अता-पता नहीं है। बाहर देखिए, गोलियां चल रही हैं।

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ये लोग एयरपोर्ट के एक कोने में बैठे हैं और बेसब्री से फ्लाइट का इंतजार कर रहे हैं। यहां मौजूद सभी लोगों ने अपने पासपोर्ट और वीजा कैमरे के सामने दिखाए। इनमें कुछ महिलाएं भी हैं।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए C17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट काबुल भेज दिया है। रविवार को भी 129 भारतीयों को दिल्ली लाया गया था। कुछ अफगान सांसद और डिप्लोमैट्स भी भारत पहुंच चुके हैं।

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हर तरफ मुसीबत, चोर-लुटेरों से लेकर जान जाने का डर
एक भारतीय ने वीडियो जारी कर कहा- “मेरे साथ कई भारतीय हैं। हम बाहर भी नहीं जा सकते, क्योंकि वहां फायरिंग हो रही है। यहां चोर-लुटेरों का भी डर है। एयर इंडिया की फ्लाइट कब आ रही है, हमें कुछ नहीं पता। दोपहर 12.30 का वक्त दिया गया था। एम्बेसी में कोई फोन नहीं उठा रहा। हमारे पास फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। एयरपोर्ट के बाहर 4 लाख लोग खड़े हैं। आप लोग प्लीज हमारी हेल्प कीजिए।”

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पंजाब के मुख्यमंत्री बोले- भारतीयों की जल्द वापसी हो
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से अपील की है कि अफगानिस्तान से 200 सिखों समेत सभी भारतीयों को जल्द वापस लाने की व्यवस्था करें। वहीं, अफगानिस्तान से सिखों और हिंदुओं को निकालने पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि विदेश मंत्रालय और दूसरे जिम्मेदार अधिकारी तमाम इंतजाम कर रहे हैं।
जर्मनी और डेनमार्क ने अपने नागरिक निकाले
जर्मनी और डेनमार्क ने भी अपने नागरिकों को काबुल से निकालने का काम तेज कर दिया है। डेनमार्क ने इस मामले में पाकिस्तान से मदद मांगी है। आज कुछ नागरिक काबुल से इस्लामाबाद पहुंचेंगे। इसके बाद उन्हें डेनमार्क ले जाया जाएगा। जर्मन एयरफोर्स के कुछ एयरक्राफ्ट भी काबुल पहुंच चुके हैं।

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तालिबान के संपर्क में रूस, पाकिस्तान के दो विमान फंसे
पाकिस्तान ने साफ कर दिया है कि वो काबुल में अपनी एम्बेसी बंद नहीं करेगा। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा हा कि पाकिस्तान समय आने पर तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय सहमति, जमीनी हकीकत और अपने देश के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप मान्यता देगा।

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इस बीच, काबुल एयरपोर्ट पर रनवे के इस्तेमाल की इजाजत नहीं मिलने से पाकिस्तान के 2 विमान फंसे हैं। ये विमान पाकिस्तानी नागरिकों को वापस लाने गए थे। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान में हालात चिंताजनक हैं, लेकिन दूतावास बंद करने पर अभी फैसला नहीं लिया गया है।

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चीन ने कहा हा कि वह अफगानिस्तान, तालिबान के साथ ‘मैत्रीपूर्ण संबंध’ बनाने को तैयार है। तालिबान के कब्जे के बाद यह चीन की ओर से पहली टिप्पणी है।

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रूस भी तालिबान के संपर्क में है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विशेष प्रतिनिधि ने कहा- हम काबुल से बात कर रहे हैं। दूतावास इससे निपट रहा है।

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Input: Daily Bihar

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