ऐसा कारनामा इस विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार हुआ है। यूनिवर्सिटी में काम करनेवाले एक चपरासी का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर हुआ है। उनकी सफलता की कहानी को जानकर लोग आश्चर्यचकित हैं
हमेशा किसी न किसी कारण से सुर्खियों में रहने वाला तिलकामांझी भागलपुर विश्विद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है। तिलकामांझी यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने मिसाल कायम की है; और ऐसा कारनामा इस विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार हुआ है।
दरअसल, इसी यूनिवर्सिटी में काम करनेवाले एक चपरासी का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर हुआ है। इस कमाल को देख-सुनकर लोग न केवल आश्चर्यचकित हैं; बल्कि छात्र की प्रशंसा करते नहीं थक रहे।
चपरासी और रात्रि प्रहरी का करते थे काम
मिली जानकारी के अनुसार, भागलपुर मुंदीचक निवासी कमल किशोर मंडल तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी के अंबेडकर विभाग में चपरासी और रात्रि प्रहरी के तौर पर काम करते थे।
लेकिन, अपनी लगन और मेहनत से अब उसी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गये हैं। कमल किशोर की नियुक्ति बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के जरिए हुई है। जिसको लेकर भागलपुर तिलकामांझी यूनिवर्सिटी की चर्चा चारों ओर हो रही है।
साल 2022 में कमल बन गए प्रोफेसर
डॉ मंडल ने साल 2000 में तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान से बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमए की डिग्री ली थी। इसके बाद साल 2019 में पीएचडी की और साल 2022 में कमल प्रोफेसर बन गए।
कमल किशोर भागलपुर के मुंदीचक के रहने वाले हैं और इनके पिता चाय की दुकान चलाते हैं। कमल ने बताया कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पीएचडी करने के बाद एनओसी लेकर प्रोफेसर के वेकेंसी काउंसिलिंग पूरी की।
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छात्र छात्राओं को कमल किशोर से सीख लेने की जरूरत
कमल किशोर मंडल के इस कारनामे को लेकर तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी के प्रति कुलपति प्रोफेसर रमेश कुमार ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि टीएमबीयू के लिए ये गर्व की बात है। एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी होते हुए बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के योग्य बनाना ये अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।
कमल किशोर की इस मेहनत और सफलता से तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी के अंबेडकर विभाग के छात्र-छात्राओं में भी खुशी देखी जा रही है।
विभाग के छात्र छात्राओं का कहना है कि तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी में पढ़नेवाले छात्र छात्राओं को कमल किशोर से सीख लेने की जरूरत है।
ऐसे हजारों युवा जो निराश होकर मेहनत करना छोड़ देते हैं उन्हें कमल से सीखना चाहिए कि कैसे सच्ची निष्ठा से लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।