मगध इलाके के हिमालय के प्रसिद्ध बराबर पहाड़ी रोप-वे निर्माण की तमाम बाधाएं दूर हो गई है। इसका निर्माण कार्य 29 अक्टूबर से प्रारंभ हो जाएगा। सरकार इसके निर्माण पर 23 करोड़, 82 लाख, 47 हजार खर्च करेगी। रोप-वे का निर्माण राज्य पुल निर्माण निगम करेगी। यह दो एलाइनमेंट में बनेगा।
बता दें कि पहला पातालगंगा से प्रारंभ होगा, जो 986.21 मीटर लंऊ होगी। दूसरा हथियाबोर से प्रारंभ होगा, जो 1196.624 मीटर लंबी होगी। दोनों एलाइनमेंट बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर के ठीक पूर्व पहाड़ी पर एक स्थान पर मिल जाएगा। रोपवे के निर्माण होने से बाबा सिद्धेश्वर नाथ के मंदिर तक आवागमन भक्तजनों के लिए सुलभ हो जाएगा। इससे पर्यटन को नया आयाम मिलेगा।
साल 2015 में ही रोप-वे निर्माण को लेकर प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन कई सारी बाधाओं के वजह से कार्य उन्नति में नहीं आ पाया था। तत्कालीन सीएम जीतनराम मांझी ने इसकी नींव किया रखी थी। वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने के वजह से कार्य शुरू नहीं हो सका था। लंबे इंतजार के बाद अब लोगों का सपना साकार होने वाला है। रोप-वे निर्माण हेतु बराबर पहाड़ी क्षेत्र में कई वृक्षों को हटाना पड़ेगा।
इसे लेकर वन विभाग के द्वारा एनओसी की जरूरत निर्माण एजेंसी को थी। मगर लंबे समय तक वन विभाग से परमिशन नहीं मिली थी जिस वजह से निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया था। इस बाधा के पश्चात बीते 2 वर्षो तक कोविड के कारण इसके लिए पहल नहीं हो पाया। बाबा सिद्धेश्वर नाथ के दर्शन और पूजा के लिए भक्त जनों को तीन किलोमीटर ऊंची पहाड़ी की चोटी पर चढ़ना पड़ता है। इस वजह से बच्चे और बुजुर्ग भक्तजन बाबा का दर्शन नहीं कर सकते हैं। रोप-वे का निर्माण हो जाने से सुलभता से मंदिर तक आवागमन हो सकेगा।
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बराबर पहाड़ के ऊपरी हिस्से पर स्थित बाबा सिद्धेश्वर नाथ की महिमा की चर्चा वेद पुराणों में उल्लेखित है। इस जगह को प्रमुख शिवलिंग में एक माना जाता है। यही वजह है कि यहां स्थानीय भक्तजनों के साथ ही दूरदराज से लोग जलाभिषेक हेतु पहुंचते हैं। विशेष तौर पर सावन के माह में श्रद्धालुओं की खूब भीड़ लगती है। बुद्ध सर्किट से इस जगह के जुड़े रहने के वजह से बोधगया और राजगीर आने वाले विदेशी सैलानी यहां आएंगे और रोप-वे का आनंद उठाएंगे।
अधिक टूरिस्टों के आने से कई प्रकार के रोजगार सृजित होंगे, जिसका फायदा स्थानीय लोगों को होगा। रोप-वे टूरिस्टों को आकर्षित करेगी। बराबर पहाड़ी की गुफाएं विश्व प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में आज अशोक के शिलालेखों का दर्शन किया जा सकता है। यहां चार तरह के प्राचीनतम गुफाएं हैं। इसके अतिरिक्त बराबर पहाड़ की खुबसूरत वादियां लोगों को लुभाती हैं।