मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। समय के साथ शहर की आबादी बढ़ी, वाहनों की संख्या में भी इजाफा हुआ। शहर में बहुमंजिली भवनों का निर्माण हुआ। मार्केट का विस्तार हुआ, लेकिन इस हिसाब से न सड़कों की चौड़ाई बढ़ी और न ही चौक-चौराहों एवं गलियों का विकास हुआ।
न शहर में पार्किंग स्थल का विकास हुआ और न ही पुल-पुलियों का निर्माण हुआ। और तो और अवैध पार्किंग एवं अतिक्रमण के कारण सड़कें संकीर्ण होती गई। इससे शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। कोई ऐसा दिन नहीं जब शहरवासियों को जाम से रूबरू न होना पड़े। लोग रोजाना होने वाले जाम से परेशान हैं। समाजसेवी अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि जब सड़कों पर वाहनों का पार्किंग होगा और चौक-चौराहे पर अवैध दुकानें सजेगी तो जाम से कैसे मुक्ति मिलेगी। अधिकारी जाम से निजात का प्लान एसी कमरे में बैठकर बनाते हैं जिससे जाम के मूल कारण उन्हें दिखाई नहीं पड़ते। जाम से निजात के लिए जिला, पुलिस एवं नगर निगम प्रशासन मिलकर सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करे। सब्जी मंडी बने चौक-चौराहों से अवैध दुकानों को हटाए। शहर के विभिन्न इलाकों में पार्किंग स्थलों का विकास करे तभी जाम की समस्या से राहत मिलेगी।
अतिक्रमण रोक रहे सड़क की गति
जाम का सबसे बड़ा कारण अतिक्रमण है। फुटपाथी दुकानदार हो या फिर स्थायी दुकानदार, सबने शहर की सड़कों, चौक-चौराहों एवं गलियों को अपनी जागीर समझ ली है। शहर के दो प्रमुख चौराहे, सरैयागंज टावर एवं कल्याणी चौक, जहां पूरे दिन यातायात पुलिस की तैनाती रहती है। ये दिन भर जाम से जूझते रहते हैं, लेकिन दोनों ही चौराहों पर सजी सब्जी एवं फल-फूल के दुकानों को हटाने की हिम्मत नहीं करते। शहर के बाजारों की बात करे तो फुटपाथी दुकानदारों के साथ-साथ स्थायी दुकानदारों ने भी सड़क पर दुकान सजा रखी हैं। इसके इसके कारण सड़क पर वाहनों की कौन कहे पैदल चलने तक के लिए जगह नहीं मिलता और जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जाम से निजात के लिए हर साल प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में जाम से कैसे मुक्ति मिले बैठक होती है, योजनाएं भी बनती है, लेकिन आज तक उनके कार्यालय के सामने सड़क पर लगने वाली फल मंडी नहीं हटी। ऐसे में पूरे शहर से अतिक्रमण हटाने की बात बेमानी होगी। कमोवेश शहर के अधिकांश इलाकों का यही हाल है।
अवैध पार्किंग के बाद चलने को नहीं बचती सड़क
जाम का दूसरा सबसे बड़ा कारण शहर में पार्किंग स्थलों का नहीं होना है। पार्किंग स्थल के अभाव में बीच सड़क पर ही छोटी-बड़ी गाडिय़ों का पार्किंग किया जाता है। इससे सड़क पर चलने लायक जगह नहीं बचती है। कल्याणी चौक, जूरन छपरा चौक, क्लब रोड, मोतीझील पुल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। पार्किंग के कारण यहां हमेशा जाम की समस्या बनी रहती है। प्रशासनिक बैठकों में पार्किंग स्थल के विकास की बात होती है। स्थल भी चिह्नित किए जाते हैं लेकिन सब कुछ कागजों पर होता है जमीन पर कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता।
Comment here