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बिहार के शाहिद सैलरी का 20% हेलमेट बाँटने में करते है खर्च, सड़क हादसे में गंवाया था दोस्त

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शाहिद इमाम बताते हैं कि 10 साल पहले सड़क हादसे में करीबी दोस्त को खोने के बाद मन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा जगी। उन्होंने हेलमेट के प्रति जागरूकता अभियान शुरू किया और पिछले 10 सालों में इस अभियान को लगातार चला रहे हैं, साथ ही मुफ्त में हेलमेट भी बांट रहे हैं।

जब किसी के साथ कोई हादसा होता है तो जिंदगी जीने का तौर-तरीका ही बदल जाता है। जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलता है। ऐसा ही एक हादसा गोपालगंज के रहने वाले शाहिद इमाम के साथ हुआ।

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सड़क हादसे में करीबी दोस्त को खोने के बाद मन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा जगी। सड़क हादसे में किसी और दोस्त की जान न जाये, इसलिए उन्होंने हेलमेट के प्रति जागरूकता अभियान शुरू कर दी।

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पिछले 10 सालों में इस अभियान को इस तरह चलाया कि लोग इन्हें अब ‘हेलमेटमैन’ के नाम से पुकारते हैं। गोपालगंज ही नहीं, बिहार के सीवान, छपरा समेत अलग-अलग शहरों में हेलमेट के प्रति अपनी पूरी टीम के साथ जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को दुर्घटना से बचने के लिए प्रेरित करते हैं।

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हेलमेटमैन शाहिद इमाम

2012 में हेलमेट की वजह से गई थी दोस्त की जान

पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर और जादोपुर रोड़ मोहल्ला निवासी शाहिद इमाम बताते हैं कि साल 2012 में एक करीबी दोस्त की बाइक दुर्घटना में मौत हो गयी। पोस्टमार्टम के दौरान रिपोर्ट आई कि सिर में गहरी चोट थी।

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तब डॉक्टरों ने बताया कि हेलमेट होती तो जान बच सकती थी। यह हादसा शाहिद इमाम को किसी सदमा जैसा था. हादसे से प्रेरित होकर हेलमेट के प्रति लोगों को जागरूक की मुहिम शुरू कर दी।

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स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को भी करते हैं जागरूक

हेलमेटमैन’ शाहिद इमाम खुद का कंप्यूटर इंस्टीट्यूट चलाते हैं। हेलमेट के प्रति जागरूकता के लिए गोपालगंज के प्लस-टू स्कूल और कॉलेजों में प्रतियोगिता के जरिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

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सड़क सुरक्षा की साइनिंग की प्रतियोगिता कराकर बेहतर प्रदर्शन करनेवाले छात्रों को पुरस्कार के रूप में हेलमेट देते हैं।

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हर खास मौके पर बांटते हैं हेलमेट

शाहिद हर खास मौके पर अपना यह काम जारी रखते हैं। वो खासतौर पर त्योहारों जैसे कि रक्षाबंधन और भाई दूज के साथ सड़क सुरक्षा सप्ताह के समय चौक-चौराहों पर 10-12 लोगों के बीच हेलमेट का भी वितरण करते हैं। इन मौकों पर छात्राओं और बच्चों से बात कर उन्हें भी इस विषय पर जागरूक करने की कोशिश करते हैं।

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90 फीसदी हेलमेट नहीं पहनने पर जाती है जान

शाहिद इमाम ने कहा कि अपनी कंप्यूटर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ने के बाद गोपालगंज आने पर यह पाया है कि बाइकर्स के साथ होने वाले सड़क हादसे में 90 प्रतिशत मौतें हेलमेट न पहनने के कारण होती हैं।

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सड़क सुरक्षा सप्ताह में प्रशासन भी ऐसे लोगों को जागरूक करता है। लेकिन समाज के लोगों का भी दायित्व बनता है कि समय-समय पर लोगों को हेलमेट के प्रति जागरूक की जाये।

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कमाई का 20 फीसदी हेलमेट पर खर्च

शाहिद ने इस बार अपनेी शादी के सालगिरह पर भी 20 बाइक सवार को करीब 17 हजार के हेलमेट गिफ्ट किये। इन सब के अलावा शाहिद अपनी हर महीने की कमाई की लगभग 20 फीसदी रकम हेलमेट बांटने में खर्च कर देते हैं।

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शाहिद अपनी हर महीने की कमाई की लगभग 20 फीसदी रकम हेलमेट बांटने में खर्च कर देते हैं Credits: NEWS18

उन्होंने बताया कि पिछले 10 साल में 726 से ज्यादा लोगों को हेलमेट बांट चुके हैं। इसी वजह से लोगों ने प्यार से हेलमेट मैन और हेलमेट भाई भी बुलाना शुरू कर दिया है।

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जिला प्रशासन कर चुका है सम्मानित

हेलमेट के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जिला प्रशासन सम्मानित कर चुका है। तत्कालीन डीएम व स्वास्थ्य विभाग के निदेशक अनिमेष पराशर ने उन्हें सम्मानित किया था। इसके अलावा कई संस्थानों की ओर से भी रोड सेफ्टी के प्रति जागरूकता के लिए सम्मान मिल चुका है।

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Abhishek Anand

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