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IIT पटना ने बनाया काउंटर ड्रोन सिस्टम, पुलिस और सेना को आपराधिक घटनाओं को रोकने में करेगा सहयोग, जाने खासियत

आईआईटी पटना के इन्क्यूबेशन सेंटर ने काउंटर ड्रोन सिस्टम तैयार किया है, जो अनाधिकृत ड्रोन की स्कैनिंग कर उसे डिटेक्ट कर उसकी लैंडिंग करा देगा।

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इतना ही नहीं, उसे वापस उसके स्टार्ट प्वाइंट पर पहुंचा देगा। दरअसल, ड्रोन के आसानी से उपलब्ध हो जाने के कारण उसके दुरुपयोग भी बढ़ गए हैं। ड्रोन कैमरे के साथ अन्य चीजों को भी ढो सकता है।

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3 वर्षों में हुआ तैयार

मसलन-आरडीएक्स, केमिकल ड्रग्स या अन्य खतरनाक चीजें। साथ ही बिना इजाजत तस्वीरें और वीडियो भी कैप्चर कर सकता है।

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इस काउंटर ड्रोन सिस्टम काे 3 वर्षों में तैयार किया गया

इससे सिक्योरिटी और प्राइवेसी पर खतरा पैदा हाेता है। इससे निजात के लिए पिछले 3 वर्षों में इस काउंटर ड्रोन सिस्टम काे तैयार किया गया है।

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सिक्याेरिटी एंड सर्विसेज में होगा इस्तेमाल

यह किसी भी अनाधिकृत ड्रोन की फ्रिक्वेंसी को न्यूट्रीलाइजर कर या तो ऑटोमेटिक लैंड करा देगा या वो जहां से आया है, वहां वापस पहुंचा देगा।

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सिक्याेरिटी एंड सर्विसेज में काम करने वाले विभाग इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका डेमॉन्सट्रेशन बिहार पुलिस, असम पुलिस, बंगाल पुलिस, इंडियन आर्मी के समक्ष जारी है। आईआईटी कानपुर में टीम ने सीड फंडिंग के लिए अप्लाई किया है।

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आईआईटी पटना के इन्क्यूबेशन सेंटर ने काउंटर ड्रोन सिस्टम तैयार किया

भारत निर्मित अधिकतर उपकरण

इस सिस्टम काे बनाने वाली टीम के सोभन चक्रवर्ती बताते हैं-हमने 2019 में काम शुरू किया था। कोविड के कारण काम में रुकावट आई।

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कुछ सामान तो बाहर से आ गए लेकिन अधिकतर भारत से ही लिये। इससे बहुत फायदा हुआ। खर्च ताे कम आया ही, ये यहां के मौसम के अनुकूल काम करेगा।

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साथ ही खराबी होने पर प्रोडक्ट को आसानी से कम समय में ठीक किया जा सकेगा। ये सामान दूसरे देशों से आधे दाम में यहां मिल जाता है।

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ये हैं टीम में शामिल

टेक एंड डेमो : विश्वजीत और प्रसेनजीत। ऑपरेशन एंड टेंडर : देवजीत। मैनेजमेंट : रितेश, बिजनेस एंड प्रोडक्ट डेवलपमेंट : सोभन चक्रवर्ती। आईआईटी पटना के इन्क्यूबेशन सेंटर के हेड डॉ. यतेंद्र कुमार सिंह और मैनेजर जोसेफ ने मेंटर किया है।

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ऐसे काम करेगा सिस्टम

काउंटर ड्रोन सिस्टम ऑन होते ही अपना पहला काम करता है डिटेक्शन का। ड्रोन रेडियो फ्रिक्वेंसी पर चलता है। जैसे ही ड्रोन इन फ्रिक्वेेंसी को डिटेक्ट करेगा जहां से सिग्नल आ रहा है, कैमरा उसी जगह मुड़ जाएगा और उसे कैप्चर करेगा।

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इसमें मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया गया है। जैसे ही डिटेक्शन और ट्रेकिंग हो जाती हैं न्यूट्रिलाइजेशन में गन की शेप में बना यह सिस्टम उसी दिशा में बीन छोड़ेगा और ड्रोन को ऑटोमैटिक लैंड करा देगा।

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Abhishek Anand

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