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CWG 2022: बर्मिंघम में बिहार के बेटे चंदन सिंह ने जीता सिल्वर मेडल, घर पर जश्न का माहौल

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CWG 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के 9वें दिन लॉन बाउल्स में चार सदस्यीय भारतीय मेंस टीम ने कमाल करते हुए सिल्वर मेडल पर कब्जा कर लिया, इस टीम को बिहार के लाल चंदन कुमार सिंह थर्ड पोजीशन पर लीड कर रहे थे।

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत एक के बाद अलग अलग खेलों में मेडल जीत रही है, इसी कड़ी में खेल के 9वें दिन बिहार के लाल चंदन कुमार सिंह ने कमाल कर दिया। भारत ने लॉन बाउल्स में रजत पदक यानि सिल्वर मेडल जीता है, चार सदस्यीय भारतीय टीम में सुनील बहादुर (लीड), नवनीत सिंह (सेंकेड), चंदन कुमार सिंह (थर्ड) और दिनेश कुमार (स्किप) शामिल रहे।

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मेडल जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे चन्दन कुमार बिहार के रहने वाले है, उनका परिवार मुंगेर जिले में है। लॉन बाउल्स में सिल्वर मेडल मिलते ही उनके घर-परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। बधाई देने वालों का तांता लग गया। आसपास के पूरे इलाके में हर्ष का माहौल है।

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चंदन कुमार सिंह शारीरिक शिक्षक के रूप में मध्य विद्यालय, समदना हथिया में कार्यरत हैं. उन्होंने मैन ट्रीपल (MEN TRIPLE) और मैन फोर (MEN FOUR) में हिस्सा लिया है। इससे पहले भी कई बड़े टूर्नामेंट में चन्दन अपने देश के लिए मेडल जीत चुके है।

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एशियन गेम्स में जीता था गोल्ड और सिल्वर

इससे पहले भी उन्होंने एशियन चैंपियनशिप 2017 में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीता था। इसके साथ ही, शियन चैंपियनशिप 2016 में गोल्ड और 2014 में सिल्वर मेडल भारत की झोली में डाला था। चंदन ने अभी तक चार बार कॉमनवेल्थ गेम में हिस्सा ले चुके हैं। इसमें स्कॉटलैंड, ओल्डकॉस्ट, दिल्ली और बर्मिंघम शामिल है।

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स्वतंत्रता सेनानी परिवार से आते है चन्दन

भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर दिलाने वाले चंदन का जन्म 5 जून 1985 को हुआ था, मुंगेर के संग्रामपुर के सुपौर जमुआ के रहने वाले चंदन कुमार के पिता कृष्ण मोहन सिंह सेवानिवृत पुलिस अधिकारी हैं। चंदन दो भाई और एक बहन है। छोटा भाई गुलशन इण्डियन रिजर्व बटालियन रांची में पदस्थापित है।

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चंदन के दादा जी ने देश के आजादी की लड़ाई लड़ी थी, उनके दादा स्व.अर्जुन प्रसाद सिंह ने 15फरवरी 1932 को तारापुर थाना पर तिरंगा फहराने के लिए गठित धावादल के सदस्य थे।

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शुरू से ही थी खेल में रूचि

चंदन की शुरूआती पढाई गांव के ही विद्यालय से हुई है उसके बाद उन्होंने आदर्श उच्च विद्यालय कुंआगढी से मैट्रिक किया फिर आगे की पढाई के लिए वह अपने मामा के घर रांची चले गए। दन के घर वाले बताते हैं कि उन्हें बचपन से खेल में काफी रूचि थी, पढ़ाई के दौरान कालेज कबड्डी टीम के सदस्य थे।

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कॉलेज के दिनों से ही चन्दन का झुकाव लॉन बॉल की तरफ हो गया, साल 2008 में रांची में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में झारखंड टीम की ओर से भाग लिया, जहां उनकी टीम ने कांस्य पदक जीता। और उसके बाद उन्होंने कभी पिछले मुड़कर नहीं देखा।

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Abhishek Anand

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