पंचायती राज व्यवस्था के तहत एक लाख से ऊपर वार्ड सदस्यों में से अगर कोई अब गड़बड़ी करते पाए गए तो बर्खास्त होंगे। अब तक इन वार्ड सदस्यों को हटाने का कोई प्रावधान ही नहीं है। वार्ड सदस्यों को बर्खास्त करने वाला प्रावधान लाने के लिए पंचायती राज एक्ट में संशोधन की तैयारी है। पंचायती राज विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। कैबिनेट की स्वीकृति और विधानमंडल से पारित होते ही गड़बड़ी करने वाले वार्ड सदस्यों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक जाएगी। दरअसल पिछले कुछ वर्षों से विकास की कई योजनाएं पंचायतों के पास पहुंच गई हैं।
नल जल योजना का जिम्मा इनके पास, लगातार शिकायतें भी मिल रहीं
नल जल योजना, गली-नाली योजना, पंचायत सरकार भवन, सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार, सोलर लाइट योजना समेत जल जीवन हरियाली की योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायतों के मार्फत हो रहा है। इसमें मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल जल योजना के संचालन की जिम्मेवारी अब वार्ड सदस्यों को दे दी गई है। मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के लांग टर्म मेंटेनेंस के लिए पंचायतों के हर वार्ड में हर महीने 5000 रुपए दिए जा रहे हैं। वार्ड सदस्य को ही अनुरक्षक के रूप में मेंटेनेंस की जिम्मेवारी भी दी गई है। ऐसे में सरकारी राशि को सीधे खर्च करने की जिम्मेवारी वार्ड सदस्य पर आ गई है। पर हर घर नल जल योजना के कार्यान्वयन में सरकारी राशि का दुरुपयोग या गड़बड़ी करने पर भी वर्तमान कानून के तहत वार्ड सदस्य को पद से नहीं हटाया जा सकता है। कई जगहों से लगातार ऐसी शिकायतें भी मिल रही हैं। यही कारण है कि अब भ्रष्टाचार में पकड़े जाने पर उन्हें हटाने के लिए सरकार पंचायती राज एक्ट में संशोधन की तैयारी कर रही है।
अभी जिप अध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख की बर्खास्तगी संभव
पंचायती राज एक्ट के तहत अभी तक जिला परिषद अध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख, मुखिया, उप मुखिया और सरपंच को उनके पद से बर्खास्त करने का प्रावधान है। वहीं किसी तरह की जिम्मेवारी वाला दायित्व नहीं होने के कारण वार्ड सदस्य, बीडीसी (समिति सदस्य), जिला परिषद सदस्य और पंच को पद से हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। हर घर नल जल योजना के पहले वार्ड सदस्यों पर कोई भी विकास कार्य यानी सरकारी राशि खर्च करने का सीधा दायित्व नहीं था। इसलिए, उन्हें हटाने की भी कोई व्यवस्था नहीं थी।
अब मिलेगा कुल 5500 मानदेय
हर घर नल जल योजना के संचालन के लिए एक वार्ड में औसतन 200 घर के हिसाब से प्रति घर 30 रुपए यानी हर महीने 6000 रुपए की वसूली हो रही है। इस 6000 रुपए में से आधा यानी 3000 रुपए मेंटेनेंस पर खर्च हो रहे हैं और 3000 रुपए वसूली करने वाले अनुरक्षक (वार्ड सदस्य) को मिल रहे हैं। यही व्यवस्था 15 वें वित्त आयोग के अनुदान की राशि से भी की गई है। हर महीने प्रति वार्ड को मिलने वाले 4000 रुपए में से आधा यानी 2000 रुपए मेंटेनेंस पर खर्च होंगे और 2000 रुपए वसूली करने वाले अनुरक्षक (वार्ड सदस्य) को मिलेगा। इस तरह दोनों तरफ से मिलने वाली राशि मिलाकर 5000 रुपए मेंटेनेंस और 5000 रुपए मानदेय हो जाएगा। चूंकि पहले से ही वार्ड सदस्य को 500 रुपए मानदेय मिल रहा है। ऐसे में अब उनकी मानदेय राशि भी बढ़कर 5500 रुपए हो गई है।
input – daily bihar
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