Sponsored
Breaking News

बॉर्डर तक पहुंचना मौत को छूने जैसा था, हिम्मत टूटी तो वापस लौट पड़ी, लेकिन…

Sponsored

रूस और यूक्रेन के बीच हालात बिगड़ते जा रहे हैं। बता दें कि रूस ने यूक्रेन में कई जगहों पर बमबारी की है। वहीं, यूक्रेन में फंसी आगरा की श्रेया अब वापस भारत आ गई हैं। श्रेया अपने परिवार के साथ अब दिल्ली से आगरा आ रही हैं। श्रेया से फोन पर हुई बातचीत में यूक्रेन से भारत आने तक की अपनी पूरी कहानी को बताया। पढ़िए श्रेया के पीड़ा भरे सफर की कहानी, उन्हीं की जुबानी…

Sponsored

मैं आगरा के शास्त्रीपुरम की रहने वाली श्रेया सिंह यूक्रेन के इवानो से MBBS कर रही हूं। पांच दिन पहले अचानक सुबह पता चलता है कि रूस ने हमला कर दिया है। हम सभी लोग डर गए। हमें हॉस्टल और बंकर में छिपने के लिए कहा गया। मैं अपनी कजिन सिस्टर के साथ बंकर में छिप गई। हम बहुत घबराए थे। पल-पल काटना भारी हो रहा था। जब भी सायरन बजता, सांसें अटक जाती थीं। बंकर और हॉस्टल में फंसे सभी स्टूडेंट्स एक दूसरे को दिलासा दे रहे थे। घर से मम्मी, पापा के भी लगातार फोन आ रहे थे। तीन दिन इसी डर में जैसे-तैसे कटे

Sponsored

रोमानिया बॉर्डर पहुंचना, मानो मौत के बीच से गुजरना

वहीँ शुक्रवार रात को एंबेसी और यूनिवर्सिटी की ओर से बताया गया कि सभी लोगों को शनिवार सुबह नौ बजे रोमानिया, हंगरी या पोलैंड के रास्ते होकर भारत ले जाया जाएगा। इस मैसेज ने बम धमाकों के बीच जिदंगी की आस-सी जगा दी। हम सब बंकर में थे, बार-बार घड़ी देख रहे थे। बस बेसब्री से सुबह नौ बजने का इंतजार था। सुबह छह बजे से सब तैयार थे। हमसे पहले एक बस रोमानिया बॉर्डर के लिए रवाना हुई। हम उस बस में बैठे अपने दोस्तों के संपर्क में थे।

Sponsored

यहां से शुरू होता है दर्दनाक सफर

रोमानिया के लिए बस में बैठते समय हम बहुत डरे थे। हम 60 बच्चों के साथ रोमानिया बॉर्डर भेजे गए। यह 400 किमी. का सफर शनिवार सुबह शुरू हुआ। भगवान का नाम लेते-लेते दहशत के बीच हम देर रात रोमानिया बॉर्डर से 15 किमी. पहले पहुंचे।

Sponsored

गाड़ियों की लंबी लाइन होने के कारण यहां से पैदल ही जाना था। ठंड से ठिठुरती रात और भूख प्यास से बदहाल हम एक दूसरे को हिम्मत बंधाते हुए आगे बढ़ने लगे। मां-पिता का चेहरा याद करके पूरे रास्ते आंसू बहाते रहे। मां से बात हुई और फोन कट गया। दो घंटे तक लगातार कोशिश की तो वापस कनेक्ट हुई, ना मां चुप रही और ना मैं। बस रोते ही रहे। मां बोली तू एक बार घर पहुंच जा। सब ठीक हो जाएगा। अचानक से धक्का मुक्की शुरू हो गई। मेरा फोन गिर गया और मैं भी। कई लोग मेरे ऊपर से गुजर गए। मेरे साथियों ने मुझे उठाया। इसके बाद दिल किया कि यहां धक्के खाकर मरने से अच्छा है रूस की मिसाइल्स से भस्म हो जाएं तो ये दर्द का सफर खत्म हो।

Sponsored

दूसरे देश के छात्र कर रहे थे परेशान

जब भारतीय छात्रों को रोमानिया बॉर्डर पर प्रवेश दिया जा रहा था तो वहां मौजूद दूसरे देशों के छात्रों को बुरा लग रहा था। इससे वो हमारे साथ मारपीट पर उतारू हो गए थे। नाइजीरिया की एक लड़की ने मेरे साथ अभद्रता की। वो सभी छात्रों के साथ ऐसा कर रहे थे। वो हमारे साथ जबरन यूक्रेन से बाहर निकलना चाह रहे थे। एक बार जैसे ही हम रोमानिया बॉर्डर में प्रवेश किए।

Sponsored

रोमानिया बॉर्डर में एंट्री मिलते ही स्थिति बदल गई। एंबेसी के अधिकारियों ने हमारा स्वागत किया। इतना ही नहीं हमारे रहने खाने और एयरपोर्ट तक पहुंचने की बहुत अच्छी व्यवस्था की गई। यूक्रेन से रोमानिया पहुंचने के बाद मैं 10 मिनट तक आंखें बंद कर बैठी रही। फोन में नेटवर्क नहीं था, लेकिन मैं मन ही मन अपने घर वालों से कनेक्ट कर उन्हें बताने की कोशिश कर रही थी कि मैं अब सुरक्षित हूं। जैसे ही रविवार रात को हमारी फ्लाइट ने भारत के लिए उड़ान भरी, आंखों से आंसू छलक पडे़। सुबह दिल्ली में मम्मी-पापा और भाई को देखकर उनसे लिपट गई। अब अपने शहर आकर बहुत अच्छा लग रहा है।

Sponsored
Sponsored
Abhishek Anand

Leave a Comment
Sponsored
  • Recent Posts

    Sponsored