बिहार के निजी स्कूल शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीइ) के प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं। शैक्षणिक सत्र 2021-22 में बिहार में इसके तहत 1.19 लाख बच्चों का एडमिशन होना था, लेकिन इसकी जगह सिर्फ 64 हजार बच्चों का नामांकन लिया गया।
आरटीइ के प्रावधान के तहत नर्सरी और कक्षा एक में कुल नामांकन में 25% ऐसे बच्चों का एडमिशन जरूरी होता है, जो गरीब परिवार से आते हैं।
10 फीसदी स्कूलों ने भी नहीं सौंपा है आंकड़ा
पूरे राज्य में कक्षा एक में एडमिशन लेने वाले 5720 निजी स्कूलों में नर्सरी और कक्षा एक में 4,61,041 बच्चों के नामांकन हुए थे। इस अनुपात में 1.19 लाख बच्चों का एडमिशन आरटीइ के तहत होना चाहिए।
लेकिन, नर्सरी में 3253 तथा कक्षा एक में 60755 बच्चों का नामांकन हुए. 2022-23 में आरटीइ के तहत नामांकन प्रक्रिया ऑनलाइन शुरू की गयी है।
अभी तक 10 फीसदी से भी कम स्कूलों ने अपने यहां आरटीइ के तहत नामांकन की जानकारी दी है। शिक्षा विभाग ने इस साल जिला शिक्षा अधिकारियों से इस मामले में प्राइवेट स्कूलों पर दबाव बनाने के लिए कहा है।
स्कूलों का तर्क : अनुदान में होती है देर
निजी स्कूलों का कहना है कि अनुदान मिलने में देरी आरटीइ के तहत नामांकन देने में सबसे बड़ी बाधा है। 2017-18 और 2018-19 की अवधि में आरटीइ के तहत एडमिशन देने के बदले निजी स्कूलों को सौ करोड़ के अनुदान की पूरी राशि अभी तक नहीं मिली है।
हालांकि जिलों को यह राशि हाल ही में दे दी गयी है। 2019-20 ,2020 -21 और 2021-22 की राशि की अभी तक चर्चा ही नहीं है। छोटे-छोटे प्राइवेट स्कूल कोे समय पर आरटीइ अनुदान न मिलने से उनकी माली हालत भी खराब हो जाती।
एक किमी का पोषक क्षेत्र भी बड़ी बाधा
बड़े स्कूलों में आरटीइ के एडमिशन में लेने के बाद भी पढ़ाना मुश्किल होता है। क्योंकि कई अन्य खर्च इतने ज्यादा हैं कि गरीब अभिभावक खर्च नहीं उठा पाता।
कई स्कूल पोषक क्षेत्र एक किमी की शर्त पर एडमिशन नहीं लेते। ये उन जगहों के लिए पंजीकृत हैं, जहां बीपीएल अथवा वंचित वर्ग बेहद कम हैं।
हर बच्चे पर सरकार का खर्च 11,869
नर्सरी अथवा कक्षा एक से शुरू होने वाले स्कूलों को प्रति विद्यार्थी शैक्षणिक सत्र 2014-15 में 4350 रुपये, 2015-16 में 6433 रुपये ,2016-17 में 6569 रुपये, 2017-18 में 8953 रुपये और 2018-19 में 11869 रुपये प्रति विद्यार्थी सरकार की ओर से अनुदान दिये गये हैं।
12 साल में 3.45 लाख को मिला लाभ
वर्ष स्कूल नामांकन
2010-11 46 317
2011-12 293 2775
2012-13 547 4109
2013-14 973 8163
2014-15 2620 29668
2015-16 3460 46632
2016-17 4186 42464
2017-18 4584 45752
2018-19 5830 64839
2019-20 6286 58222
2020-21 4880 24458
2021-22 5720 60755
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