Sponsored
ADMINISTRATION

बिहार में विकसित होंगे नए पर्यटन स्थल, जानिए इन पांच जगहों पर बनने वाले रामसर साइट का महत्व

Sponsored

बिहार सरकार स्थायी जलजमाव वाले बड़े इलाके (आद्र्र भूमि) को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने जा रही है। पहली सूची में ऐसे पांच क्षेत्रों का चयन किया गया है। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग इन्हें रामसर साइट की सूची में करने की कार्रवाई कर रहा है। बिहार सरकार स्थायी जलजमाव वाले बड़े इलाके (आद्र्र भूमि) को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने जा रही है। पहली सूची में ऐसे पांच क्षेत्रों का चयन किया गया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग इन्हें रामसर साइट की सूची में करने की कार्रवाई कर रहा है। शुक्रवार को हुई बिहार राज्य आद्र्र भूमि प्राधिकरण की बैठक में यह फैसला किया गया। विभागीय मंत्री नीरज कुमार सिंह ने इसकी अध्यक्षता की।

Sponsored

बैठक में तय किया गया कि सौ हेक्टेयर से अधिक आद्र्र भूमि वाले इलाके के विकास की योजना बने। पहले चरण में नागी, नकटी, बरैला, गोगाबील और कुशेश्वरस्थान का चयन किया गया। इन्हें रामसर साइट घोषित करने पर सैद्धांतिक सहमति बनी। कहा गया कि इन स्थलों को रामसर साइट घोषित करने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की जाएगी। इसके अलावा उत्तर विभाग की आद्र्र भूमि के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए एक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान खोलने का फैसला किया गया। मंत्री ने आद्र्र भूमि का दस्तावेज बनाने का निर्देश दिया।

Sponsored
कबरताल बिहार का पहला रामसर स्थल

आर्थिक सशक्तिकरण की योजना

स्वास्थ्य कार्ड के अलावा आद्र्र भूमि मित्र बनाने की योजना पर भी विचार किया गया। सलाह दी गई कि पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग स्थायी जल जमाव वाले क्षेत्रों आर्थिक सशक्तिकरण की योजना बनाए। प्राधिकरण की तकनीकी समिति को कहा गया कि वह आर्थिक पक्ष पर एक रिपोर्ट तैयार करे। बैठक में विभागीय प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह के अलावा अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

Sponsored

क्या है रामसर साइट?

अंतरराष्ट्रीय महत्व की जैव विविधता वाले आद्र्र भूमि को रामसर साइट की सूची में शामिल किया जाता है। फिलहाल देश में ऐसे चिल्का झील सहित ऐसे स्थलों की संख्या 47 है। दुनिया भर में इनकी संख्या 2,463 है। 1971 में यूनेस्को की पहल पर ईरान के रामसर शहर में विश्व की आद्र्र भूमियों के उपयोग एवं संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि हुई थी।

Sponsored

आयोजन के चार साल बाद 1975 में यह संधि अस्तित्व में आई। भारत ने उस पर 1982 में दस्तखत किया था। इसे ही रामसर संधि कहा जाता है। इसकी सूची में दुनियाभर के बड़े आद्र्र भूमि क्षेत्र हैं। बिहार के पांच स्थलों के नाम इसी सूची में शामिल करने की योजना है।

Sponsored
Sponsored
Abhishek Anand

Leave a Comment
Sponsored
  • Recent Posts

    Sponsored