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बिहार में ब्रांडेड दवाओं की बिक्री 25 प्रतिशत तक घटी, भारी पड़ रही जन औषधि; चौंका देंगे ये आंकड़े

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पटना : दुनिया में जेनरिक किंग की पहचान रखने वाले हमारे देश में भी अब ये दवाएं लोकप्रिय हो रही हैं। ज्यों-ज्यों प्रधानमंत्री जन औषधि लोकप्रिय हो रही है, उसी क्रम में प्रदेश में महंगी पेटेंट दवाओं का बाजार सिमट रहा है। मई माह में गत वर्ष से प्रदेश में दवाओं की बिक्री के आंकड़ों को देखें तो इसके वाल्यूम ग्रोथ में 3.3 प्रतिशत और यूनिट ग्रोथ में 10.4 प्रतिशत तक की कमी हुई है। इसमें कोविड ड्रग्स की कुल बिक्री 60 हजार 456 करोड़ यानी कुल दवाओं का 36 प्रतिशत हिस्सा है। इसकी बिक्री में वाल्यूम ग्रोथ -3.31 प्रतिशत, और यूनिट ग्रोथ -10.44 रहा। सबसे ज्यादा कमी कोविड उपचार में काम आने वाली दवाओं की बिक्री में हुई। इसके वाल्यूम ग्रोथ में -25.28 प्रतिशत और यूनिट ग्रोथ में -22.55 प्रतिशत की कमी हुई है। वहीं नन कोविड दवा बिक्री के वाल्यूम ग्रोथ में 14.23 और यूनिट ग्रोथ में 3.59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह भी वृद्धि लक्ष्य से करीब 22 प्रतिशत कम है। वहीं राजधानी में जन औषधि काउंटर की बिक्री एक वर्ष में प्रतिमाह 20 लाख से बढ़कर 5 करोड़ हो गई है। इसके अलावा बहुत सी जेनरिक दवाएं जो जन औषधि काउंटर में नहीं हैं, उन्हें लोग थोक बाजार से खरीद रहे हैं।

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25 प्रतिशत तक कम हुआ दवाओं का कारोबार

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बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता सह प्रशासनिक सचिव तरुण कुमार के अनुसार कोरोना के बाद आमजन हाइजीन और स्वास्थ्य मानकों को लेकर काफी सतर्क हुए हैं। दवाओं की बिक्री का यह एक बड़ा कारण है। इसके अलावा जन औषधि के साथ अन्य जेनरिक दवाओं की बिक्री भी इसका एक कारण रहा है। कोरोना उपचार में काम आने वाले एंटी इंफेक्टिव दवाओं की बिक्री कम होना भी अहम कारण रहा। पूरे दवा बाजार की बिक्री औसतन 25 प्रतिशत तक गिरी है।

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मांग के अनुसार जनौषधि में दवाओं की संख्या बढ़ने का भी असर

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पेटेंट कंपनियां एक से अधिक केमिकल साल्ट मिलाकर नई दवाएं बनाकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। इनकी मांग को देखते हुए जन औषधि केंद्र भी उसी कंपोजिशन की दवाओं का आर्डर करते हैं। यही कारण है कि जन औषधि काउंटर में इस समय दवाओं की संख्या 900 से बढ़कर 1200 से अधिक और सर्जिकल उपकरणों की संख्या 90 से बढ़कर 150 से अधिक हो चुकी है। बिहार के नोडल पदाधिकारी अशोक द्विवेदी के अनुसार मरीज जिस प्रकार की दवाओं की मांग करते हैं और उनकी संख्या बढ़ते देख वे भी उसी कंपोजिशन की दवाओं की मांग करते हैं। ग्राहकों को 15 से 20 दिन और कुछ मामलों में दो-तीन माह में उस कंपोजिशन की दवा उपलब्ध करा दी जाती है। राजधानी में ही अब जन औषधि के 34 काउंटर खुल चुके हैं।

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बड़ी कंपनियों की बिक्री में हुई कमी

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पेटेंट दवा बनाने वाली कंपनियों में सबसे ज्यादा कमी ग्लेनमार्क में 43.1 प्रतिशत हुई। इसके बाद फाइजर में 19.9, एरिस्टो में 19.2, सिप्ला में 16.9, माइक्रो में 12, एमक्योर में 10.1, ल्यूपिन में 9, सनोफी इंडिया में 9.3 प्रतिशत तक की कमी रही है।

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जन औषधि में बीपी, शुगर व हृदय रोग दवाओं की बिक्री सबसे ज्यादा

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आइजीआइएमएस स्थित जन औषधि के सबसे बड़े काउंटर के संचालक पवन कुमार केजरीवाल ने बताया कि बीपी, शुगर और हृदय रोग की दवाओं की बिक्री सबसे ज्यादा है। लोग विदेश तक यहां से थोक के भाव में दवा लेकर जा रहे हैं। इसके अलावा महंगी चर्म रोग की दवाएं, आंख, खांसी सिरप, जलने व बच्चों की दवा की बिक्री भी बढ़ रही है। शुगर जांच मशीन, पल्स् आक्सीमीटर समेत सर्जिकल उपकरण की बिक्री में भी वृद्धि हुई है। पटना के इस केंद्र को सबसे ज्यादा जन औषधि बेचने के लिए देश में पहला स्थान मिला है।

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डाक्टर खुलकर नहीं कर पा रहे विरोध

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जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले डाक्टर भी जन औषधि के साथ प्रधानमंत्री और भारत सरकार का नाम जुड़ा होने के कारण खुलकर नहीं बोल रहे हैं। वहीं शहरी क्षेत्र के मरीज भी कहने लगे हैं कि दवा की गुणवत्ता सही नहीं है तो पर्चे पर लिख दें ताकि वे शिकायत कर सकें। इस पर डाक्टर मरीजों पर दबाव नहीं बना रहे हैं।

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दवा के सबग्रुप, वाल्यूम ग्रोथ प्रतिशत, यूनिट ग्रोथ प्रतिशत

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– कार्डियक, -1.3, – 4.7

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– एंटी इंफेक्टिव्स, -36.7, -18.4

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– गैस्ट्रो इंटेस्टाइन, 8, -1.6

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– एंटी डायबिटिक, 2.1, -3.9

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– विटामिन, मिनरल्स, न्यूट्रिशयंस, -9.4, -26.3

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– श्वांस रोग, -21.3, -26.5

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– दर्द निवारक, 9.6, -14.9

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– चर्म रोग, 30, 11.7

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– न्यूरो-सीएनएस, 15.5, 5.5

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– स्त्री रोग संबंधी, 25.6, 15.2 –

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एंटी नियोप्लास्टिक, 6.9, 12.9

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– हार्मोन्स, -14, -30.4

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– नेत्र रोग संबंधी, 31.1, 15.9

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– यूरोलाजी, 12.8, 15.9

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– खून संबंधी रोग, 14.1, -0.1

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– वैक्सीन, -6, 17.6

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– यौनवर्धक स्टीमुलेंट्स-यौनवर्धक, 98.5, 73.7

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– स्टोमैटोलाजिकल्स, -9.9, -7.5

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– एंटीमैलेरियल्स, -28.3, – 47

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– अन्य दवाएं, 20.8, 24.3

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Abhishek Anand

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