एनएच दो पर ओवरलोडिंग माफियाओं और परिवहन विभाग के बीच शह और मात का खेल चल रहा है। कैमूर के परिवहन विभाग ने 2019-20 में ओवरलोडेड वाहनों को सड़कों पर पकड़ने के बजाय मोहनिया डिड़खिली के पास स्थित टोल प्लाजा से ऐसी गाड़ियों की लिस्ट ली और उन पर ऑनलाइन जुर्माना गाड़ी मालिकों को भेज दिया।
इन गाड़ियों के मालिकों द्वारा जब तक जुर्माने की राशि नहीं भरा जाती, तब तक गाड़ी का परमिट से लेकर फिटनेस तक रिन्यूअल नहीं हो पाता था।
ऐसे में परिवहन विभाग को ओवरलोडेड वाहनों से बैठे-बैठे जुर्माने की राशि मिलने लगी थी। लेकिन, जैसे ही ओवरलोडिंग के माफियाओं को परिवहन विभाग के इस नये नियम की जानकारी हुई, तो उन्होंने इसका तोड़ निकाल लिया।
वे ट्रकों का नंबर बदल कर टोल प्लाजा पार करने लगे। परिवहन विभाग अब ट्रकों के बदले गये नंबर के आधार पर जुर्माना कर करने लगा। लेकिन,जब करोड़ों रुपये ऑनलाइन जुर्माना भरने कोई नहीं आया तो विभाग के कान खड़े हुए।
इसी बीच सैकड़ों लोग गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से यह समस्या लेकर भभुआ परिवहन विभाग पहुंच पहुंचने लगे कि उनके राज्य में उनका परमिट या फिटनेस नहीं बन पा रहा है।
पीड़ित लोगों ने बताया कि बिहार के कैमूर में उनकी गाड़ी पर ऑनलाइन जुर्माना लगाया गया है, जबकि उनकी गाड़ी कभी कैमूर आयी ही नहीं है। जब परिवहन विभाग यह पता चला कि जुर्माना तो ओवरलोडेड ट्रकों पर लगाया गया है।
उत्तर प्रदेश बनारस के रहनेवाले रत्नाकर राय ने डीटीओ भभुआ को आवेदन दिया है कि उनकी इनोवा (यूपी 65 एटी 8638) को ओवरलोडेड ट्रक बता कर परिवहन विभाग द्वारा 25 हजार 600 रुपये का जुर्माना लगा दिया गया है। उनकी गाड़ी यहां आयी ही नहीं।
उनकी शिकायत पर जब परिवहन विभाग ने पड़ताल की, तो पता चला है कि कोई ओवरलोडेड ट्रक ऑनलाइन जुर्माना से बचने के लिए रत्नाकर राय की इनोवा गाड़ी का नंबर प्लेट लगा कर मोहनिया टोल प्लाजा से पार हो गया है।
यह कहानी सिर्फ रत्नाकार राय की नहीं है, बल्कि यूपी 45 टी 7011 नंबर की गाड़ी पर भी 25 हजार 600 रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जबकि यह गाड़ी इ-रिक्शा है।
इसी तरह से यूपी 62 एटी 2676 पर 37 हजार 600 रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जबकि, यह टेंपो का नंबर है। परिवहन विभाग के पास अभी तक 60 से अधिक इस तरह की शिकायतें गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों के लोगों द्वारा की गयी है।
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