पिता-सब्जी विक्रेता व ऑटो चलाने वाले, स्कूल-कॉलेज ऐसे कि कहीं आधे, कहीं शिक्षक ही नहीं.. फिर भी टॉपर, टाॅपर अर्जुन के पिता एक छोटे ठेकेदार हैं : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा इंटर की परीक्षा के रिजल्ट में टॉपर्स की सफलता सबके लिए प्रेरणा बन सकती है। उम्मीद होती है कि छात्रों को पढ़ाने वाले संस्थानों में ऐसी व्यवस्था हो कि छात्रों की हर एकेडमिक समस्या का समाधान वहीं हो जाए। लेकिन इंटर की परीक्षा के रिजल्ट में इसका उल्टा दिखा।
जिन स्कूल और कॉलेजों से पटना के टॉपर्स निकले, वहां तो सबसे पहले शिक्षकों का ही अभाव रहा। पटना में दो टॉपर्स डिग्री कॉलेजों से निकले। इसमें बीडी कॉलेज से वाणिज्य संकाय के टॉपर अंकित कुमार गुप्ता हैं। जबकि कॉलेज ऑफ कॉमर्स के पीयूष कुमार को वाणिज्य संकाय में दूसरा स्थान मिला है। इन दोनों कॉलेजों में शिक्षकों की वास्तविक संख्या सृजित पदों के आधा है। बीडी कॉलेज में कॉमर्स के सृजित पदों की संख्या 13 है लेकिन वहां सिर्फ छह शिक्षक ही कार्यरत हैं। जबकि कॉलेज ऑफ कॉमर्स में कॉमर्स के शिक्षकों के सृजित पदों की संख्या 12 है। इसमें आठ शिक्षक अभी कार्यरत हैं, जिसमें एक डॉ. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता एमएलसी होने के कारण लियन पर हैं।
वहीं वाणिज्य संकाय में पांच स्थान पर रहने वाला मो. अम्मार अशहद पटना मुस्लिम हाई स्कूल का छात्र है। यहां आईकॉम की पढ़ाई तो होती है लेकिन कॉमर्स के शिक्षकों का कोई सृजित पद नहीं है। स्कूल प्रबंधन दो अतिथि शिक्षकों के भरोसे यहां आईकॉम की पढ़ाई करा रहा है।
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