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औराई की “आशा” ने बुनियादी शिक्षा के आभाव से लड़ दरोगा में हुई चयनित, हैं दो बच्चों की माँ

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कहते है कि महिला अगर अपने जिद और हौसले पर उतर जाए तो वो महिला शसक्तीकरण की खुद ही मिशाल बन जाती है।

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आइये आपको ले चलते है औराई के उस ग्रामीण क्षेत्र कोकिलवारा में जहाँ के लोग आज भी पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है जहां बुनियादी शिक्षा ही प्राप्त कर लेना,बहुत बड़ी बात होती है।

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लेकिन कहते है न कि इरादे गर मजबूत हो तो संसाधन भी आपके संकल्प के सामने कमजोर हो जाती है।इसी को चरितार्थ किया हैं इसी गांव की उच्च विद्यालय साही मीनापुर से मैट्रिक में टॉप रैंक लाने वाली आशा कुमारी ने।

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आशा कहती है कि मैट्रिक पास होने के 2 साल बाद ही उनकी शादी हो गई।मगर उनके मन मे अधिकारी बनने का सपना जो बचपन मे देखा था वो मन मे एक आग की तरह उबलता रहा और ससुराल में पारिवारिक उलझनों में व्यस्तता के बाद एवं आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी अपनी पढ़ाई का सफर जारी रखी।अधिकारी स्तर की तैयारी के दौरान उनकी पहली जॉब इंजीनियरिंग कॉलेज सीतामढ़ी में लिपिक के पद पर हुई।
जॉब होने के बाद भी अपने परिवार और जॉब के व्यस्तताओं से फुर्सत निकाल बीपीएससी की तैयारी करती रही।

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आशा बताती है कि इसी बीच उन्होंने दरोगा बहाली की फार्म भरी और आज एक दरोगा के रूप में नई जिम्मेदारी के साथ खुशी महसूस कर रही है।

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वो कहती है कि यह सफर अभी भी नही रुकने वाला है।आशा बताती है कि जब तक बीपीएससी एवं यूपीएससी के स्तर की प्रशासनिक अधिकारी नही बन जाती तक वो अपने तैयारी को जारी रखेगी।

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आशा ने बताया कि उनको बचपन से माता पिता,भाई एवं शादी के बाद सुसराल वालो का भी मदद मिलता रहा।आशा के सफलता की सबसे बड़ी बात यह है कि ये सफलता उन्हें सेल्फ स्टडी से मिला है।आशा के भाई राकेश ने बताया कि वो और उनकी दीदी एक साथ सीतामढ़ी में ही रहते है और दोनों एक साथ तैयारी करके के अधिकारी बनना चाहते है।

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input – DTW 24

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Pranav prakash

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