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अचिंत शिउली 12 साल की उम्र में किया सिलाई-कढ़ाई का काम, अब कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीतकर बढ़ाया देश का मान

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पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के निवासी 20 वर्षीय इंडियन वेटलिफ्टर द्वारा रविवार को बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम में पुरुषों के 73 किलो स्क्वायर का गोल्ड मेडल दो न्यू गेम्स रिकॉर्ड के सहित अपना नाम रौशन कर लिया। पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में कम्यूनिज़म कर रहे शिउली ने पूरे मुकाबले में अपना दबदबा बनाए रखा। उन्होंने स्नेच राउंड में सबसे अधिक 143 किलो वजन उठाकर न्यू गेम्स रिकॉर्ड निर्मित किया। उसके उपरांत क्लीन एंड जर्क राउंड में 170 किलो का वजन उठाकर टोटल 313 किलो वेट के सहित भी कॉमनवेल्थ गेम्स का न्यू रिकॉर्ड बनाया।

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पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के दुएलपुर में 24 नवंबर 2001 को अचिंत शिउली का जन्म हुआ था। उन्होंने आपने बचपन को बेहद कठिनाइयों में गुजरा। पिता साइकिल रिक्शाचालक थे, जब वो 8 वी में पढ़ते थे उसी समय उनके पिता की मृत्यु हो गई। उसी दौरान उनके पॉल्ट्रीफॉर्म पर जंगली लोमड़ी के समूह ने हमला कर दिया। ऐसें में परिवार का खर्च चलाने के हेतु सबको कुछ न कुछ कार्य करना पड़ा था। ऐसे में सिर्फ 12 वर्ष की उम्र में अचिंत को साड़ियों में जरी एवं कढ़ाई का कार्य करना पड़ा। वो धीरे-धीरे एक निपुण दर्जी बन गए।

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12 वर्ष की आयु में ही वो पहली बार एक लोकल जिम में गए। अचिंत के बड़े भाई वेटलिफ्टर थे। उनसे ही यह खेल उन्हें वरासत में मिला। जब तक अचिंत के पिता जिंदा रहे उनके बड़े भाई वेटलिफ्टिंग करते थे। पिता के मृत्यु के उपरांत उनके भाई को वेटलिफ्टिंग त्यागनी पड़ी एवं परिवार के जीवननिर्वाह के हेतु सिलाई-कढ़ाई का कार्य सीखना पड़ा। ऐसे में वेटलिफ्टिंग एवं सिलाई-कढ़ाई दोनों के गुण उन्होंने अपने भाई से सीखे।

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उस समय जब अचिंत ने वेटलिफ्टिंग आरंभ की तब उनका नित्यचर्या बेहद संघर्ष भरा था। सुबह 5 बजे उठकर वो दौड़ने जाते। उसके उपरांत घर लौटकर सिलाई का कार्य करते थे। इसके अलावा जिम जाते एवं फिर स्कूल जाते। स्कूल से लौटने के उपरांत वो वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस करते। घर लौटकर उन्हे फिर से सिलाई-कढ़ाई का कार्य करना पड़ता। उसके उपरांत रात खाना खाकर वो 10 बजे सोने चले जाते एवं फिर सूरज उगने से पहले उठ जाते थे।

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अचिंत हादसा वश वेटलिफ्टिंग के खेल में आ गए। एक दिन वो पतंग उड़ा रहे थे। तभी एक पतंग कटकर लोकल जिम में जा गिरी। जिम के भीतर लोगों को एक्सरसाइज एवं ट्रेनिंग करता देख वो अप्रत्याशित में पड़ गए एवं उनकी आंखें खुली रह गईं। इसके बाद उन्होंने अपने बड़े भाई के सहित जिम जाना आरंभ कर दिया।

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अचिंत का अभी तक का करियर बेहद अच्छा रहा है। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स खेलों से पहले वो अंतरराष्ट्रीय इंटरनेशनल लेवल पर अपनी छाप छोड़ चुके थे। वर्ष 2019 में उन्होंने राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। यह सीनियर लेवल में उनका पहला मेडल था। वर्ष 2021 में वो जूनियर वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में रजत पदक अपने नाम कर चुके हैं। उसके अतिरिक्त उन्होंने ताशकंद में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।

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Abhishek Anand

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