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तालिबान के आते ही अफगानिस्तान में स्कूल-कॉलेज सब बंद, लेकिन बुर्के की दुकानें खुल रहीं

अफगानिस्तान में तालिबान का शासन शुरू होने के पहले ही उसका असर नजर आने लगा है। अफरातफरी और दहशत के माहौल की वजह से स्कूल, कॉलेज, दुकानें बंद हैं, बिजनेस ठप हो गए हैं, लेकिन बुर्के की दुकानों में एकदम से बिक्री बढ़ गई है। इनमें भी मोटे कपड़े वाले ऐसे बुर्के की मांग सबसे ज्यादा है, जो महिलाओं को पूरी तरह ढंक देता हो।

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न्यूज वेबसाइट ब्लूमबर्ग ने साल 2019 में यूनाइटेड नेशंस में अफगान यूथ रिप्रेजेंटेटिव रहीं आयशा खुर्रम के हवाले से लिखा है कि अभी सबसे ज्यादा बूम बुर्का बिजनेस में आया है। अलग-अलग प्रांतों में बुर्के की दुकानें दोबारा खुल रही हैं। महिलाओं को पूरा ढंकने वाले मोटे और नीले कपड़े वाले बुर्के खूब बिक रहे हैं। यह तालिबान के पिछले शासन का दमनकारी प्रतीक है। दोबारा तालिबान के आने पर बुर्का अचानक महंगा और जरूरी बन गया है।

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खुर्रम कहती हैं कि ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने तालिबान के पुराने शासन को नहीं जिया है। वे उनके तरीकों को नहीं जानतीं। वे अब कह रही हैं कि हम इस दमनकारी पोशाक को नहीं अपनाएंगे।

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काबुल में इस तरह से बुर्का पहनी महिलाएं सार्वजनिक वाहनों से घरों में पहुंच रही हैं।
काबुल में इस तरह से बुर्का पहनी महिलाएं सार्वजनिक वाहनों से घरों में पहुंच रही हैं।

मुझे नहीं लगता अब कभी ग्रेजुएट हो पाऊंगी…
आयशा कहती हैं कि तालिबानी शासन आने से पढ़ाई कर रहीं लड़कियों के सपने टूट चुके हैं। 22 साल की आयशा काबुल यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस का कोर्स कर रही हैं और इस बार उनका फाइनल सेमेस्टर है। इसके पूरे होने में महज दो महीने ही बाकी रह गए हैं। वे कहती हैं अब शायद मैं कभी ग्रेजुएट नहीं हो पाऊंगी।

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लोग सदमे में हैं। अब किसी की आंखों में आंसू नहीं हैं। कोई नहीं समझ पा रहा कि क्या महसूस करें। राजधानी को यातायात ने जाम कर रखा है, क्योंकि घबराए लोग सुरक्षित अपने घरों तक पहुंचना चाहते हैं। रविवार सुबह से ही बिजली गुल है। जिन चुनिंदा लोगों के पास बिजली है, सिर्फ वही TV और न्यूज देख सकते हैं। लोग देश छोड़ना चाहते हैं, लेकिन सीमाएं बंद हैं।

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खौफ के बीच कुछ महिलाएं हिम्मत भी दिखा रहीं
खौफ के इस माहौल के बीच कुछ महिलाएं अब भी हिम्मत दिखा रही हैं और अपनी बात रख रही हैं। काबुल स्थित अमेरिकी यूनिवर्सिटी ऑफ अफगानिस्तान में लेक्चरर मुस्का दस्तगीर सोशल मीडिया पर सीधे तालिबानी नेताओं तक अपनी बात पहुंचा रही हैं।

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वे लिखती हैं कि अफगानों को शिकार बनाया जा रहा है। अफगानी महिलाएं नहीं छिपेंगी। हम नहीं डरेंगे। पूरी दुनिया की नजरें अफगानिस्तान, काबुल और तालिबान पर हैं।

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Input: Daily Bihar

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