पनबिजली सेक्टर को और भी अधिक मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार योजना बना रही है। हालांकि इसके तहत 11 पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण करने की योजना है। इन 11 पनबिजली घरों में से 7 बिजलीघरों का निर्माण इस वर्ष पूर्ण कर लिया जाएगा, जबकि शेष 4 का निर्माण अगले वित्त वर्ष तक होगा। इन छोटी-छोटी पनबिजली परियोजनाओं के माध्यम से स्थानीय स्तरों पर लोगों की आवश्यकताओ को पूरी की जाएगी।
हालांकि इन परियोजनाओं के निर्माण को लेकर उर्जा विभाग द्वारा शेड्यूल जारी कर दिया गया है। पिछले कई वर्षों से बिहार स्टेट हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन (BHPC) इन पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण को लेकर जुटा था। इसके अंतर्गत 11 पनबिजली परियोजनाओं का चुनाव किया गया। और इस काम को दो चरणों में बांटकर उसपर काम शुरू किया गया। पहले चरण में चयनित 7 परियोजनाओं का निर्माण कार्य इस वर्ष पूरा कर लेना है।
इन पनबिजली से 7 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। सभी 7 परियोजनाओं पर 148 करोड़ रुपए खर्च किये जायेंगे। हालांकि इन सातों पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण से सम्बन्धित सारी प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। यहां तक कि उत्पादित बिजली बाहर निकालने के लिए ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण का भी टेंडर हो चुका है। वर्तमान समय में सूबे में 13 पनबिजली परियोजनाओं से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। नए बिजलीघर के निर्माण हो जाने के बाद सूबे में परियोजनाएं की संख्या 20 हो जाएंगी। यही नहीं राज्य का पनबिजली उत्पादन क्षमता 60 मेगावाट से भी ज्यादा हो जाएगी।
इस वर्ष निर्माण होने वाले पन बिजली घरों में- राजापुर जहाँ 2 मेगावाट, डेहरा और सिपहा में एक-एक मेगावाट, तेजपुरा में 1.50 मेगावाट, बलिदाद में 0.70 मेगावाट, अमेठी में 0.5 मेगावाट और रामपुर में 0.25 मेगावाट बिजली का उत्पादन होना है। अगले वर्ष बनेंगे : मथौली, नटवार पनबिजलीघर, पहरवां और बरबल पनबिजलीघर। (इस आर्टिकल में प्रयोग किए गए चित्र प्रतीकात्मक हैं।)
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