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बिहार का ये युवक लोगों के लिए बना मिसाल, छोटी उम्र में कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती से अच्छी कमाई

स्ट्रॉबेरी की खेती उनके इलाके में संभव नहीं है। मगर एकलव्य ने अपनी मेहनत और लगन से सबको गलत साबित कर दिया। आज के समय में एकलव्य स्ट्रॉबेरी के फलों से अच्छी कमाई कर रहे हैं।

बिहार में परंपरागत खेती को छोड़ किसान खेतों में नए नए प्रयोग कर रहें हैं और ज्यादा मुनाफा कमा रहें हैं, बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रही है।

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बिहार के बेगूसराय के रहने वाले एकलव्य कौशिक स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। जब एकलव्य ने अपने खेत में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने की सोची थी तब कुछ लोग कहते थे की इसका दिमाग खराब हो गया है।

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स्ट्रॉबेरी की खेती उनके इलाके में संभव नहीं है। मगर एकलव्य ने अपनी मेहनत और लगन से सबको गलत साबित कर दिया। आज के समय में एकलव्य स्ट्रॉबेरी के फलों से अच्छी कमाई कर रहे हैं।

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Eklavya Kaushik, a resident of Begusarai, is cultivating strawberries
बेगूसराय के रहने वाले एकलव्य कौशिक कर रहे हैं स्ट्रॉबेरी की खेती

एकलव्य के अनुसार, लोकल मार्केट में स्ट्रॉबेरी पचास रुपए किलो से लेकर अस्सी रुपए किलो तक बिक जाती है। वहीं बड़े बाजारों में इसकी कीमत 600 रुपए किलो तक है।

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हिमाचल से खास किस्म के पौधे मंगवाए

स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे एकलव्य बताते हैं कि उन्होंने अपनी खेत में सभी पौधे ऑस्ट्रेलियन ब्रीड के लगाए हैं। उन्होंने हिमाचल से मात्र 2700 रुपये की लागत से खास किस्म के 1000 स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगवाकर स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की है। एकलव्य ने बताया की उन्होंने कोरोना लॉकडाउन के वक्त स्ट्रॉबेरी की खेती करने का निश्चय किया था।

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Started strawberry cultivation by getting 1000 special varieties of strawberry plants from Himachal at a cost of only Rs 2700.
हिमाचल से मात्र 2700 रुपये की लागत से खास किस्म के 1000 स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगवाकर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की

एकलव्य ने यूट्यूब की मदद से स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़ी सभी जानकारी एकत्रित की।फिर उन्होंने उन किसानों से भी संपर्क किया जो लंबे समय से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।

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खेती की शुरुआत के संबंध में एकलव्य कौशिक ने बताया कि खेत की अच्छे से जुताई कराने के बाद ऑस्ट्रेलियन ब्रीड की स्ट्रॉबेरी के पौधे रोप दिए।

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समय-समय पर करते रहे सिंचाई

एकलव्य समय-समय पर नमी को ध्यान में रखकर सिंचाई करते रहे। देखते ही देखते उनकी मेहनत रंग लाई और स्ट्रॉबेरी के पौधो में फल आने शुरू हो गए। एकलव्य बताते हैं कि आमतौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ठंडे प्रदेश उत्तम माने जाते हैं।

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Strawberries cost up to Rs 600 per kg in big markets
बड़े बाजारों में स्ट्रॉबेरी की कीमत 600 रुपए किलो तक है

लेकिन इसके लिए अनुकूल भूमि और वातावरण बनाना कठिन नहीं है। उन्होंने कहा कि बेगूसराय में स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उन्होंने मौसम का आकलन किया, तकनीक का सहारा लेकर अपने सपनों को सच करने में लग गए।

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परिवार ने एकलव्य का दिया साथ

एकलव्य के मुताबिक परिवार के सहयोग के बिना उनका आगे बढ़ना संभव नहीं था। स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर उनके जुनून और प्रयास को देखते हुए उनके माता-पिता ने उनका साथ दिया।

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एकलव्य के परिवार को गर्व है कि उनका बेटा पूरे इलाके लिए एक मिसाल बनकर उभर रहा है। उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़ी रिसर्च के दौरान उनके फूफा कुमार शैलैंद्र प्रियदर्शी ने अहम भूमिका निभाई है।

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Eklavya and his father Ravi Shankar Singh
एकलव्य और उनके पिता रविशंकर सिंह

उनके फूफा कुमार शैलैंद्र प्रियदर्शी जियोलॉजी के प्रोफेसर हैं। और उनके ही मार्गदर्शन में एकलव्य बेगूसराय की मिट्टी में स्ट्रॉबेरी की सफल खेती कर रहे हैं।

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औरंगाबाद के किसान के मुताबिक स्ट्रॉबेरी खुदरा में 200 रुपये प्रति किलो और थोक बाजार में 300 रुपये प्रति किलो तक की कीमत मिल जाती है।

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60 हजार रुपए तक का फायदा

एकलव्य के अनुसार, लोकल मार्केट में स्ट्रॉबेरी पचास रुपए किलो से लेकर अस्सी रुपए किलो तक बिक जाती है। वहीं बड़े बाजारों में इसकी कीमत 600 रुपए किलो तक है।

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ऐसे में 1000 पौधों से होने वाली पैदावार के बाद सारे खर्च निकालकर उन्हें करीब 60 हजार रुपए का फायदे का अनुमान है। आपको बता दें, एकलव्य की फसल तैयार हो चुकी है और बिकने के लिए तैयार है।

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Eklavya is emerging as an example at the age of 14
14 साल की उम्र में मिसाल बनकर उभर रहा है एकलव्य

फलों के लिए उन्होंने लोकल मार्केट में संपर्क किया है, जहां से उन्हें आर्डर मिलने शुरू हो चुके हैं। इस फसल के बिकने के बाद एकलव्य आगे के लिए और अच्छी तैयारी करना चाहते हैं, ताकि वो अधिक से अधिक मुनाफा काम सकें।

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