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रेडलाइट एरिया में जन्मी भारतीय लड़की जो अमेरिका के लिए प्रेरणा बनी, 25 प्रभावशाली महिलाओं में नाम

बड़े से बड़े पेड़ का बीज मिट्टी के अंदर ही दबाया जाता है. ये उस बीज के फलने की इच्छाशक्ति ही है जो उसे ज़मीन का सीना चीर कर बाहर आने की ताकत देती है. श्वेता कट्टी भी ऐसे ही एक बीज की तरह थी, जिसे मिट्टी के बहुत भीतर तक दबा दिया गया, लेकिन जब वो फली तो दुनिया ने उसे सलाम किया.

मुंबई के एक रेड लाइट एरिया में जन्मी श्वेता में आगे बढ़ने की ऐसी लगन थी जिसके दम पर उसने नर्क कहे जाने वाले इलाके से उठ अमेरिका के सबसे महंगे कॉलेज तक की उड़ान भरी.

आइए जानते हैं 18 साल की उम्र में 28 लाख की स्कॉलरशिप ले कर अमेरिका जाने वाली श्वेता के जीवन के बारे में :\

रेड लाइट एरिया से अमेरिका का सफ़र

Shweta Kutti Facebook/Stories Of Mumbai

श्वेता कट्टी का जन्म मुंबई के एक रेडलाइट एरिया कमाठीपुरा में हुआ. इसी बस्ती में वह पली बढ़ी. बता दें कि कमाठीपुरा एशिया का जानामाना रेडलाइट एरिया है. श्वेता अपनी तीन बहनों में सबसे छोटी हैं. जहां से श्वेता आती हैं वो जगह भले ही पढ़ाई और बड़े सपने देखने के अनुकूल नहीं थी लेकिन श्वेता की आंखों ने सपने देखने की हिम्मत की. श्वेता का बचपन कमाठीपुरा के सेक्स वर्कर्स के बीच गुज़रा. वे लगातार श्वेता को पढाई करने के लिए प्रेरित करती रहती थीं. जिससे कि वह पढ़-लिखकर उस माहौल से निकल सके और कुछ बनकर उन्हें भी यहां से बाहर निकाल सके.

तीन बार हुआ यौन शोषण

Shweta Kutti Facebook

कमाठीपुरा में रह रहा श्वेता का परिवार उसकी मां की कमाई से चलता था. काफी समय तक वह 5500 प्रति माह वेतन पर एक फैक्ट्री में काम करती रहीं. कहने को तो श्वेता के पिता भी थे लेकिन एक तो वह सौतेले थे और दूसरे शराबी. श्वेता के अनुसार वह हमेशा घर में मार पिटाई और झगड़े करते थे. जब तक वह साथ रहे श्वेता कभी भी अच्छा महसूस नहीं कर पाई. श्वेता ने बचपन में ही वो सब भी झेला जो किसी भी महिला के लिए सबसे बड़ा डर होता है. वह बचपन में तीन बार यौन शोषण का शिकार हुईं. मात्र नौ साल की उम्र में ही श्वेता को उसके एक करीबी की गलत हरकत सहनी पड़ी थी. श्वेता के रंग के लिए भी उनका काफी मजाक उड़ाया गया. वो बताती हैं कि स्कूल में उन्हें बच्चे गोबर कहकर चिढ़ाते थे.

मिली नई राह

Shweta Kutti Financial Times

श्वेता भले ही बहुत कुछ करना चाहती थी लेकिन उसे ना तो कोई मदद मिल रही थी और ना ही उसके आत्मविश्वास को मजबूती. इतना सब सहने के बाद वो इतना कमजोर महसूस करने लगी थी कि किसी प्रतियोगिता में भाग लेने से भी डरती थी. लेकिन कहते हैं ना जहां चाह होती है वहां राह भी मिल ही जाती है. 16 साल की श्वेता को उसकी मंजिल की राह तब मिली जब उन्होंने 2012 में क्रांति नामक एक एनजीओ जॉइन किया. यहीं से उनकी ज़िंदगी में नया मोड़ आया. जिन हालातों में श्वेता बड़ी हुई थी, उसकी वजह से वह खुद से ही नफरत करने लगी थी. लेकिन, इस संस्था ने उसे खुद से प्यार करना सिखाया. श्वेता ने इस संस्था की मदद से सिर्फ खुद को ही नहीं, बल्कि अपने जैसी अन्य लड़कियों को भी मजबूती दी.

श्रेष्ठ 25 महिलाओं में चुनी गई श्वेता

Shweta Kutti Bardfreepress

श्वेता के सराहनीय प्रयासों की वजह से अमेरिकी मैगज़ीन न्यूज़वीक ने 2013 में उन्हें अपने अप्रैल अंक में 25 साल से कम उम्र की उन 25 महिलाओं की सूची में शामिल किया था जो समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बनीं. इस सूची में पाकिस्तान की मलाला यूसुफज़ई का नाम भी था.

इसके बाद श्वेता को वो मिला जिसके बारे में वह कभी सपने में सोचने की हिम्मत भी नहीं कर सकती थी. उस समय अमेरिका के दस सबसे महंगे कॉलेजों में से एक माने जाने वाले बार्ड कॉलेज की चार साल स्नातक डिग्री की फीस लगभग 30 लाख रुपए थी. श्वेता को यहां पढ़ने के लिए 28 लाख की छात्रवृत्ति मिली थी.

ऐसे मिली छात्रवृति

Shweta Kutti Twitter

यह सब श्वेता की लगन के कारण ही संभव हो पाया था. वह लगातार इंटरनेट पर अमेरिकी विश्वविद्यालय के बारे में सर्च करती रहती थी. इसी दौरान उनकी बात बार्ड कॉलेज के एक पूर्व छात्र से हुई. वह छात्र श्वेता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने बार्ड कॉलेज मे श्वेता के नाम की सिफारिश कर दी. कठिनाइयों से लड़ कर अपने सपने की ओर आगे बढ़ रही श्वेता की कहानी ने कॉलेज के एडमिशन अफसरों का दिल छू लिया. बाकी का काम न्यूज़वीक पत्रिका ने कर दिया जिसमें श्वेता को 25 श्रेष्ठ महिलाओं में चुना गया था. इन्हीं कारणों से बार्ड कॉलेज ने खुशी खुशी श्वेता की छात्रवृत्ति को मंजूरी दे दी.

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