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भुखमरी वर्ल्ड रैंकिंग में भारत का बुरा हाल, 121 देशों की सूची में मिला 107 वां स्थान

वर्ल्ड हंगर इंडेक्स बहुत सालों से भारत को परेशान कर रहा है। इस साल की रैंकिंग कल आई है। 2020 में 107 देशों में भारत का स्थान 94 था, 2021 में 116 देशों में 101 और 2022 में 121 देशों की सूची में 107 । कई लोगों को इसमें बहुत गिरावट दिख रही है, मुझे तो ये कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस लग रहा है, हर साल पीछे से तेरहवाँ से पन्द्रहवां के बीच में। इतने स्टैटिक और कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस में मुझे तो कोई न्यूज वैल्यू नहीं दीखता, पर अधिकांश मिडिया इसमें बहुत गिरावट देख रही है। वे कुल देशों की संख्या में बदलाव को नहीं देख रही। मिडिया के शैक्षणिक स्तर के बारे में कुछ कहना जरुरी भी नहीं।

… इस इंडेक्स में चार मुख्य पैरामीटर हैं … कुपोषण, लम्बाई, वजन और बाल मृत्यु दर। इसमें बाल मृत्यु दर का आंकड़ा ही सबसे ज्यादा सही होता है। अंदाजन 99 प्रतिशत मृत्यु सरकारी आंकड़ों में आ ही जाते हैं। बाल मृत्यु दर, यानि पाँच साल की उम्र तक के बच्चों का मृत्यु दर। इस मामले में भारत ने पिछले कुछ सालों में उल्लेखनीय प्रगति की है और इसका स्थान विश्व औसत से बेहतर हो गया है। यूँ कहिये कि करीब सौ देशों में इसका स्थान चालीस के आस पास होगा। तो फिर हंगर इंडेक्स में हम इतने फिसड्डी क्यों हैं ? इसका कारण बच्चों की लम्बाई और वजन का अन्य देशों की तुलना में कम होना है।

इसके आंकड़े सैम्पल से लिए जाते हैं, जो बहुत भरोसेमंद नहीं होते। और ये अनुवांशिक भी होते हैं, जो धीरे स=धीरे ही कई दशकों में बदलते हैं। इस तरह के ग्रे-जोन वाले आंकड़ों में गड़बड़ी की ज्यादा गुंजाइश होती है। नॉर्वे और जर्मनी की जिस एजेंसियों ने इस इंडेक्स को बनाया है, वे भी इस मामले में चुप हैं कि कैसे भारत को आप दुनिया का सबसे भूखा देश कह सकते हैं जब्कि बाल मृत्यु दर जैसे बेहतर आंकड़े में भारत का आंकड़ा मिडिल इनकम देशों से भी बेहतर है।

एक महत्वपूर्ण इंडेक्स को पब्लिश करने के पहले इस तरह की क्रॉस चेकिंग और वेलिडेशन जरुरी है, जो इन्होने नहीं किया। मेरे अनुसार बाल मृत्यु दर ही हंगर और मेडिकल का एक बेहतर कम्पोजिट इंडेक्स है, जिसमे भारत ऊपर से चालीस प्रतिशत देशों में आता है।

लेखक: भारतेंदु कुमार दास

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