टना. देश अनाज भंडारण के दौरान होने वाली बर्बादी रोकने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए भंडारण व्यवस्था में बदलाव की बड़ी तैयारी की है. उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल (Minister Piyush Goyal) ने बताया कि भंडारण में खाद्यान्नों की बर्बादी को रोकने के लिए देश में पहली बार पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) के तौर पर कैमूर के मोहनियां और बक्सर के इटाढ़ी में सार्वजनिक-निजी भागीदारी पद्धति (पीपीपी मोड) में एक लाख टन क्षमता के साइलोज (स्टील के बड़े भंडारण टैंक) की स्थापना 65.28 करोड की लागत से की जा रही है.
प्रत्येक स्थान पर 50 हजार टन क्षमता के साइलोज का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें गेहूं के लिए 37,500 टन और चावल के लिए 12,500 टन क्षमता शामिल है. गेहूं के भंडारण के लिए साइलोज का इस्तेमाल देश में पहले से हो रहा है, मगर चावल के लिए पहली बार कैमूर और बक्सर में साइलोज का निर्माण किया जा रहा है. अगर यह प्रयोग सफल रहा तो पूरे देश में 15.10 लाख टन क्षमता के साइलोज का निर्माण कराया जायेगा.
साइलोज बनाने की अनुमानित लागत 65.28 करोड़ है. भारतीय खाद्य निगम द्वारा 2019-20 में भूमि की लागत मद में प्रति इकाई 19.14 करोड़ खर्च का अधिग्रहण कर लिया गया है और सिविल निर्माण कार्य चल रहा है. जूट के बोरे में अनाजों को भर कर गोदामों में रखने से चूहे और कीड़े आदि से बर्बादी होती है, जबकि साइलोज भंडारण के लिए सुरक्षित है. थाईलैंड, फिलिपिन्स, बंग्लादेश जैसे देशों में साइलोज में ही चावल का भंडारण किया जाता है.
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Input: News18