कुछ छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं में भावुकता और मार्मिक बातें देखकर परीक्षकों का ध्यान अटक गया। मुजफ्फरपुर, बिहार में ग्रेजुएशन सेमेस्टर-2 की कॉपियां जांचते वक्त परीक्षकों ने कुछ ऐसे संदेश पढ़े, जो उनकी उम्मीदों से परे थे। कई छात्रों ने परीक्षा में पास होने के लिए व्यक्तिगत कठिनाइयों का उल्लेख किया, जैसे कि ससुराल की ज़िम्मेदारियाँ या परिवार के किसी सदस्य की तबीयत खराब होना।
1. घर की जिम्मेदारियों का बोझ, पढ़ाई छूट गई
कई छात्राओं ने अपनी कॉपियों में लिखा कि वे ससुराल की जिम्मेदारियों में फंसकर पढ़ाई नहीं कर पाईं। वे चाहती हैं कि इस बार उन्हें पास कर दिया जाए, ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके।
छात्र का निवेदन: “सर, कृपया मुझे पास कर दें, घर की जिम्मेदारियाँ निभाते हुए पढ़ाई का समय ही नहीं मिला।”
2. बीमारी ने भी बनाई मुश्किलें
कई छात्रों ने बताया कि परिवार के सदस्यों की बीमारी ने उनके लिए पढ़ाई मुश्किल बना दी। एक छात्र ने तो लिखा, “घर के सदस्य बीमार थे, उनकी देखभाल में बुखार से पीड़ित होकर 20 दिनों तक बिस्तर पर रहा। इस कारण परीक्षा की तैयारी नहीं हो पाई।”
3. शादी और कामकाज में उलझ गए सपने
कई छात्राओं ने अपनी परीक्षाओं के दौरान शादी हो जाने का उल्लेख किया। इनमें से कुछ ने लिखा कि शादी के बाद नई जिम्मेदारियाँ निभाते हुए पढ़ाई के लिए समय नहीं मिल पाया। वे अपील कर रही हैं कि शिक्षक इस स्थिति को समझते हुए उन्हें पास कर दें।
भावुक अनुरोध: “सर, मुझे पास कर देंगे तो मैं आपको जीवनभर याद रखूंगी।”
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4. आर्थिक दबाव और परीक्षा में पास होने की गुहार
कुछ छात्रों ने यह भी लिखा कि परीक्षा में फेल होने पर घरवाले उन्हें आर्थिक सहायता देना बंद कर देंगे। उनकी कॉपियों में स्पष्ट है कि परिवार के दबाव के कारण उनके लिए पढ़ाई जारी रखना जरूरी है।
नोट: ऐसी भावनात्मक अपीलें शिक्षकों के सामने कई सवाल खड़े कर रही हैं। क्या परीक्षकों को इन परिस्थितियों को देखते हुए विद्यार्थियों के अंकों में छूट देनी चाहिए?
परीक्षा का परिणाम इस माह जारी होने की उम्मीद
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि सेमेस्टर-2 का परिणाम तैयार हो चुका है और इसी महीने इसे घोषित किया जा सकता है। परीक्षकों के सामने अब यह चुनौती है कि वे किस प्रकार से इन निवेदनों को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष निर्णय लें।