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BREAKING: बिहार में सभी 28 सरकारी-निजी Law कॉलेजों में एडमिशन पर रोक, 451 प्रोफेसरों की बहाली भी हुई रद्द

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पटना हाई कोर्ट ने सोमवार को बिहार सरकार को दो बड़ा झटका दे दिया। हाई कोर्ट ने बिहार के सभी 28 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में एडमिशन पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य के सरकारी B.Ed कॉलेजों में हुई 451 असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली को भी अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। लॉ कॉलेजों में एडमिशन के मामले में चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की है और राज्य सरकार समेत सभी संबंधित पक्षों को नोटिस भेजा है। इस मामले में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होनी है। वहीं, एक अन्य मामले में सरकारी B.Ed कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली को अवैध करार देकर रद्द करने के मामले में जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने फैसला सुनाया है।

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बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

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बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने पटना हाई कोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की है। इसमें कहा गया है कि राज्य के लॉ कालेज में पूरी व्यवस्था नहीं है। योग्य शिक्षकों व प्रशासनिक अधिकारियों की काफी कमी हैं। बुनियादी सुविधाओं की भी कमी हैं। इसका लॉ की पढ़ाई पर काफी असर पड़ रहा है। मामले में याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के किसी भी सरकारी व निजी लॉ कालेजों में BCI के 2008 के प्रावधानों का पालन नहीं हो रहा है। इन प्रावधानों में देश के सभी लॉ कॉलेजों में एडमिशन, पढ़ाई व कोर्स से संबंधित गाइडलाइन दी गई है।

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TNB कॉलेज भागलपुर के मामले में दायर हुई थी रिट याचिका
दरअसल, भागलपुर के TNB लॉ कॉलेज में अव्यवस्थाओं को लेकर वर्ष 2019 में पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी। इसी मामले में कोर्ट ने 18 फरवरी 2021 को कहा कि बिहार के सभी लॉ कॉलेजों की स्थिति देखी जाएगी। कोर्ट ने इसके लिए बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया को रिपोर्ट देने के लिए कहा। BCI ने बिहार के सभी कॉलेजों की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट कोर्ट को दी। इसके आधार पर आज यह फैसला सुनाया गया है।

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B.Ed कॉलेजों के मामले में 3 रिट याचिकाओं पर फैसला

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राज्य के सरकारी B.Ed कॉलेजों में हुई 451 असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली को भी पटना हाईकोर्ट ने अवैध करार देते हुए उसे रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने रवि कुमार और अन्य की तरफ से दायर 3 रिट याचिकाओं को मंज़ूर करते हुए सोमवार को यह फैसला सुनाया। 18 रिट याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि बहाली के लिए जारी विज्ञापन की शर्तों के खिलाफ जाकर नियुक्ति की गई है।

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विज्ञापन 478 रिक्त पदों के लिए, बहाली 451 पर ही
विज्ञापन 478 रिक्त पदों के लिए प्रकाशित किया गया था, जबकि नियुक्ति 451 पदों पर ही हुई। योग्य उम्मीदवारों के लिए देय आरक्षण में भी गड़बड़ी की गई। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कई बार राज्य सरकार को निर्देश दिया कि प्रकाशित विज्ञापन के आलोक में ही बहाली लेने के लिए उचित कदम उठाएं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट को पूरी नियुक्ति को ही रद्द करनी पड़ी। याचिकाकर्ताओं का पक्ष एडवोकेट सुनील कुमार सिंह एवं जोगेंद्र कुमार ने पेश किया।

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रिजल्ट में भी हुई थी कई तरह की गड़बड़ियां
BPSC ने विज्ञापन संख्या 02/2016 के तहत 16 विषयों के 478 लेक्चर नियुक्ति परीक्षा का अंतिम रिजल्ट पिछले साल 27 फरवरी को प्रकाशित किया। आयोग ने एक अभ्यर्थी को अलग-अलग विषयों के तीन-तीन पदों के लिए अंतिम रूप से चयनित कर दिया। तीन-तीन पदों पर चयनित ऐसे अभ्यर्थियों की कुल संख्या 6 के करीब थी। 109 उम्मीदवारों को दो विषयों में चयनित कर दिया गया था। इस पर सवाल उठने लगा कि क्या एक व्यक्ति की पदस्थापना एक समय में तीन पदों पर की जा सकती है। तब कोर्ट ने आयोग को नए सिरे से पुनरीक्षित रिजल्ट प्रकाशित करने का आदेश दिया।

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