कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने आम जन-जीवन को बेहाल कर दिया है। एक तरफ शहर से गांव तक कोविड मरीज बढ़ रहे हैं तो दूसरी तरफ इसका असर जरूरी सामानों के बिक्री दर पर भी पडऩे लगा है। महंगाई दर बढऩे लगी है और मध्यवर्गीय परिवारों के रसोई का बजट बिगडऩे लगा है। खाद्य तेल, दाल व बच्चों के डिब्बा बंद दूध से लेकर अन्य जरूरी सामानों के मूल्य में इजाफा होने लगा है।
एक पखवारे के अंदर सरसो तेल व रिफाइन के दाम में प्रति किलो 45 रुपये की बढ़ोतरी हो गयी है। वहीं दालों कीमत भी 15 से 20 रुपये प्रति किलों बढ़ गया है। बच्चों के डिब्बा बंद दूध के दाम भी 10 रुपये बढ़ गये हैं। शायद ही किचेन का कोई ऐसा सामान है जिसके मूल्य कोरोना संक्रमण काल में नहीं बढ़े हो।
सरसो तेल व रिफाइन के मूल्य ने बढ़ाई लोगों की चिंता :
सरसो, मूंगफली व सोयाबीन की फसलें उम्मीद से बेहतर हुई है। बावजूद सरसों तेल व रिफाइन के बढ़ते मूल्य को लोग समझ नहीं पा रहे हैं। सारण के बाजारों में एक पखवारे पूर्व तक 120 रुपये प्रति लीटर की दर से दुकानों पर बिकने वाला सरसों तेल अभी 165 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इसी तरह 115 रुपये प्रति लीटर की हिसाब से बिकने वाले रिफाइन का मूल्य 160 रुपये प्रति लीटर हो गया है। जानकारों की माने तो एक क्विंटल सरसों में 36 लीटर तेल निकलता है।
सरसो का रेट 54-55 सौ रुपये प्रति क्विंटल इन दिनों चल रहा है। एक क्विंटल सरसों की पेराई में करीब 60 किलो खली निकलती है, जिसका मूल्य 22 रुपये प्रति किलो है। खली की बिक्री से तेल की पेराई, ट्रापोटिंग व मार्केटिंग का खर्च निकल जाता होगा। इस हिसाब से शुद्ध सरसों तेल का मूल्य अधिकतम 130-140 रुपये प्रति लीटर होनी चाहिए।
खुदरा दुकानों पर सभी तरह की दालों के बढ़ गए मूल्य
सारण के मार्केट की खुदरा दुकानों पर एक पखवारे के अंदर सभी तरह के दालों के मूल्य बढ़ गये हैं। एक पखवारे पूर्व 80 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाला रहर दाल अभी 102 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। चना दाल का मूल्य 58 रुपये से बढ़ कर 72 रुपये प्रति किलो हो गयी है। मसूर का दाल 60 की जगह 75 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। चना के मूल्य में भी इजाफा हो गया है। 15 दिनों पहले तक 50 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाला चना अभी 62 रुपये किलो बिक रहा है।
Input: JNN
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