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बिहार का ऐसा गांव जहां होली में अनजान लड़की पर रंग डाला तो करनी होगी शादी…

देश भर में होली की पहचान रंगों के त्योहार से है। मगर बांका की आदिवासी बस्ती में होली में रंग डालना बिल्कुल मना है। आदिवासी होली की तरह अभी बाहा परब मना रहे हैं। इसमें रंग की जगह आदिवासी एक दूसरे पर पानी डालते हैं। अगर भूल से भी आपने किसी पर रंग डाल दिया तो आपकी मुसीबत बढ़ जाएगी।

 

वह भी रंग अगर किसी लड़की को पड़ गया तो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा। आपको उस लड़की से शादी करनी होगी। शादी के लिए तैयार नहीं होने पर समाज आपकी सारी संपत्ति उस लड़की के नाम कर सकती है। होली की तरह का ही बाहा परब की आदिवासी गांवों में कोई तिथि निर्धारित नहीं है। बल्कि यह हर साल सखुआ और महुआ में फुल निकलने के बाद मनाया जाता है। हर गांव में ग्राम प्रधान बैठक कर इसे मनाने की तिथि घोषित करते हैं। बाहा परब में फूल की पूजा होती है। दोपहर बाद मजाक वाले रिश्तेदार एक दूसरे पर पानी डाल कर हंसी-ठिठोली करते हैं।

 

रंग साथ गंदा पानी भी डालना मना

 

आदिवासी होली में किसी पर आप केवल साफ पानी ही डाल सकते हैं। गंदा पानी या रंगीन पानी डालना पूरी तरह मना है। आदिवासी विकास मंच के अध्यक्ष जंबू हांसदा बताते हैं कि आदिवासी का प्रकृति से गहरा नाता है। हम होली की तरह बाहा परब मनाते हैं। इसका आयोजन भी होली के दो-चार दिन पहले होता है। लेकिन हमारा समाज केवल शुद्घ पानी से होली खेलता है। इसमें कोई मिलावट नहीं होती है। रंग या कीचड़ की पूरी तरह मनाही।

 

सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष देवनारायण मरांडी बताते हैं कि बाहा में सुबह जेहारथान में मरांग बुरू की फूलों से पूजा होती है। इसके बाद केवल मजाक के रिश्तेदारों जैसे देवर-भाभी, जीजा-साली, दादा-पोता, दोस्त व सखियों पर ही पानी डाल सकते हैं। किसी लड़की पर रंग डालने की पूरी मनाही है। भूल से अगर कोई ऐसी शरारत कर देता है तो समाज से उसे कुछ भी कड़ी सजा दे सकता है।