हम चैन की नींद सो सकें, इसलिए वे सीमा पर खड़े रहते हैं. अपना घर-परिवार भूलकर हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान हथेली पर लेकर चलते हैं. भारतीय सेना के जवान शायद किसी अलग ही मिट्टी के बने होते हैं. सेना से जुड़े लोगों को, उनसे जुड़ी किसी भी चीज़ के प्रति हर देशवासी के मन में सम्मान होता है. दूर कहीं हरे रंग की मिलिट्री गाड़ी या राह चलते कोई वर्दीवाला दिख जाए तो हम मुड़कर उन्हें ज़रूर देखते हैं.
राज्य के RTO गाड़ी के रेजिस्ट्रेशन नंबर इश्यू करते हैं
भारत में हर मोटराइज़्ड रोड वेइकल (Motorised Road Vehicles) को राज्य RTO रेजिस्ट्रेशन नंबर इश्यू करते हैं. सेंट्रल मोटर वेइकल रूल्स (Central Motor Vehicle Rules, CMVR) के आधार पर गाड़ियों के आगे और पीछे नंबर प्लेट्स लगाए जाते हैं. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में ये देशभर की गाड़ियां रेजिस्टर की जाती हैं. गौरतलब है कि भारतीय सेना पर ये नियम लागू नहीं होते.
सेना की गाड़ियों की नंबर प्लेट अलग होती है
देश की तमाम गाड़ियों के लिए जो नियम-कानून बनाए गए हैं, भारतीय सेना की गाड़ियों पर वो लागू नहीं होते. रक्षा मंत्रालय ने सेना से जुड़ी गाड़ियों के लिए अलग नियम बनाए हैं. ऐसी गाड़ियों का लेखा-जोखा मंत्रालय के पास ही होता है.
सेना की गाड़ियों के नंबर प्लेट पर सबसे आगे एक तीर का निशान बना होता है. The Times of India के एक लेख के अनुसार, नंबर प्लेट पर सबसे आगे या तीसरे नंबर पर ये तीर का निशान हो सकता है. ये तीर का निशान ऊपर की तरफ़ इशारा करता है. इसके बाद जिस साल सेना के पास वो गाड़ी आई, उस साल के आखिरी दो अंक लिखे होते हैं. इसके बाद बेस कोड और सीरीयल नंबर.
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नंबर प्लेट पर तीर का निशान क्यों होता है?
तीर के निशान को ब्रॉड ऐरो (Broad Arrow) कहा जाता है. ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में आज भी नंबर प्लेट्स पर इस तीर के निशान का प्रयोग किया जाता है. इस तीर के निशान को लगाने के पीछे एक दिलचस्प वजह है. अगर दुर्घटनावश गाड़ी पलट जाती है तो आसानी से नंबर प्लेट पढ़ा जा सके इसलिए ये तीर का निशान लगाया जाता है.
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