सेना से चार साल का अनुभव लेकर निकलने वाले अग्निवीरों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकार उन्हें सक्षम बनाने में जुटी है। इसी कड़ी में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय उनके लिए कुछ ऐसे तकनीकी कोर्सों को शुरू करने की तैयारी में है, जिससे सेना में किए गए उनके कार्यों व अनुभवों को और निखारा जा सके। इसका लक्ष्य उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना है। फिलहाल इस काम में एआइसीटीई (आल इंडिया काउंसिल फार टेक्निकल एजुकेशन) और आइआइटी जैसे संस्थानों को लगाया गया है।
शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत सभी कोर्सों के लिए शुरू हुई क्रेडिट स्कीम को इन कोर्सों से जोड़ा जाएगा। इससे अग्निवीरों के सेना के अनुभवों को भी जोड़ा जा सकेगा। यह कोर्स एक साल, दो साल और तीन साल के होंगे। इनमें यदि कोई अग्निवीर एक साल का कोर्स करेगा, तो उसे सर्टिफिकेट मिलेगा। जबकि दो साल पर डिप्लोमा और तीन साल में डिग्री मिलेगी।
नीति के तहत वैसे भी सभी स्नातक कोर्सों के साथ कौशल विकास को जोड़ा जा रहा है। अग्निवीरों के लिए तैयार किए जा रहे यह विशेष तकनीकी कोर्स जल्द घोषित किए जा सकते हैं। गौरतलब है कि सरकार ने इससे पहले अग्निवीरों की आगे की शिक्षा के लिए एक रोडमैप का एलान किया है। इसमें इग्नू के जरिये उनके लिए विशेष स्नातक कोर्सों को शुरू करने सहित एनआइओएस के जरिये बारहवीं की शिक्षा दिलाना है। इससे जुड़ी डिग्री और सर्टिफिकेट में इनके सेना के अनुभव भी दर्ज होंगे।
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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय यानी इग्नू पहले ही एलान कर चुका है कि अग्निवीर नौकरी के दौरान ही स्नातक की डिग्री ले सकेंगे। इग्नू ने बीए, बीए टूरिज्म और बीकाम के कोर्स तैयार किए हैं जिनमें अग्निवीर भी दाखिला लेकर स्नातक की पढ़ाई कर सकेंगे। यही नहीं पूर्व सैनिक भी इसके पात्र होंगे। जारी बयान के मुताबिक 50 फीसद पाठ्यक्रम जवानों के प्रशिक्षण कौशल पर आधारित होगा जबकि 50 प्रतिशत थ्यौरी के रूप में होगा। इन कोर्सों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और केंद्र सरकार से जल्द मंजूरी मिल जाएगी।