सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री और JDU के वर्तमान विधायक मेवालाल चौधरी का इलाज समय पर नहीं हो पाया, लेकिन उन्हें 21 बंदूकों की सलामी सरकार ने जरूर दिलवाई। अस्पताल में समय से ICU नहीं मिल पाया। IGIMS से लेकर पारस तक की कहानी यही बताती है। RTP-CR जांच 12 को की गई, 13 को सैंपल रिसीव और 16 को रिपोर्ट आई थी।
इलाज में कितनी भी देर हुई, लेकिन मेवा लाल के मरने के बाद सरकार ने दरियादिली खूब दिखाई। पटना का गुल्बी घाट 21 बंदूकों की सलामी से गूंजता रहा। उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा गया और धुन भी बजाई गई। प्रोटोकॉल का पालन किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या सरकार के दो डिप्टी CM में से कोई भी घाट नहीं पहुंचा, लेकिन सरकार की ओर से पंचायती राज विभाग मंत्री सम्राट चौधरी घाट पर मौजूद रहे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी उपस्थित रहे। ये दोनों मेवालाल की जाति (कोयरी ) के हैं।
खुद पर लगे आरोपों का खंडन किया था
मेवालाल मुंगेर जिले के तारापुर के रहने वाले थे। पढ़े-लिखे नेता थे। सबौर कृषि विवि के कुलपति रहे और तारापुर से चुनाव जीतने के बाद उन्हें सरकार ने शिक्षा मंत्री बनाया था। कुलपति रहते हुए की गई बहाली में गड़बड़ी के आरोप में विपक्ष के दबाव पर उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था। 2012 में सबौर कृषि विश्वविद्यालय में 161 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा मामले का आरोप उन पर था। मंत्री पद से हटाए जाने के बाद आरोपों पर मेवालाल ने सफाई दी थी कि ‘ मुझ पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। मैं भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में संलिप्त नहीं रहा हूं। उन्होंने यह भी कहा था कि अभी तक उन पर किसी भी मामले में कार्रवाई नहीं हुई है, ऐसे में उन्हें कैसे आरोपित बताया जा रहा है।’
दो में से एक पुत्र ही पहुंच पाए
बुधवार को उनके बड़े पुत्र रवि प्रकाश अमेरिका से पहुंचे और उन्होंने मुखाग्नि दी। उनके दूसरे बेटे मुकुल भास्कर आस्ट्रेलिया से पटना नहीं आ सके, क्योंकि अभी आस्ट्रेलिया और भारत के बीच हवाई सेवा बंद है। बड़े पुत्र रवि प्रकाश भी पिता का दाह संस्कार करने अकेले पटना पहुंचे। दाह संस्कार के बाद वे अपने गृह क्षेत्र तारापुर चले गए।
कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा है कि मेवालाल हों या कोई भी आम व्यक्ति, उनका समय से इलाज नहीं होना दुखद है। यह सरकार पर प्रश्न चिह्न है। मेवालाल चौधरी के निधन के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लिखा- पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि कैसे नीतीश कुमार के सिस्टम ने उन्हीं के करीबी विधायक और पूर्व मंत्री मेवालाल चौधरी की जान ले ली।
Input: Bhaskar
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