बिहार में हाल के दिनों में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार का एक निर्णय काफी चर्चा में रहा, जब संविदा पर आधारित नौकरियां देने के मामले में सरकार ने नए दिशा-निर्देश जारी किए. विपक्षी दलों ने इसे एनडीए सरकार (NDA Government) का रोजगार विरोधी रवैया बताते हुए हमला किया, तो जवाब में सत्तापक्ष ने पूरे आंकड़े और दावों के साथ यह साबित करने की कोशिश की कि सरकार रोजगार देने से पीछे नहीं हट रही. अव्वल सरकार की सहयोगी बीजेपी (BJP) के नेताओं ने तो लाखों की संख्या में रोजगार देने के अपने वादे की याद भी दिलाई. लेकिन इन सबके बीच बिहार विधानसभा चुनाव में ‘सीएम कैंडिडेट’ के रूप में चर्चित रहीं पुष्पम प्रिया चौधरी (Pushpam Priya Chaudhary) के सोशल मीडिया पोस्ट (Social Media Post) भी चर्चा में हैं.
दरअसल, पुष्पम प्रिया चौधरी ने अपने ट्विटर हैंडल से पिछले कुछ दिनों में बिहार के सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों के बारे में कई ट्वीट किए हैं. ये ट्वीट्स बताते हैं कि मत्स्य विभाग, राजस्व विभाग, वित्त विभाग समेत कई स्थानों पर हजारों पद वर्षों से खाली पड़े हैं. पुष्पम प्रिया ने सूचना के अधिकार कानून के जरिए हासिल की गई जानकारियां साझा करते हुए नीतीश सरकार पर हमला किया है. अपने एक ट्वीट में वह लिखती हैं, ”वैकेंसी निकालेंगे नहीं तो रोजगार कहां से देंगे’. पहली बार सियासत के मैदान में उतरकर चर्चाओं में आने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी के इ ट्वीट्स पर अभी तक व्यापक चर्चा नहीं हुई है, लेकिन सरकार की ही फाइलों से निकले ये आंकड़े, चौंकाते जरूर हैं.
पुष्पम प्रिया चौधरी ने सोशल मीडिया पर जो पोस्ट शेयर किए हैं उसमें RTI से विभागों में पद खाली के जो तथ्य सामने आए हैं इसके अनुसार मत्स्य विभाग – 1448 में से 1057, बिहार राज्य वित्तीय निगम – 578 में से 532, राजस्व एवं भूमि सुधार – 10344 में से 8461, क्रेडिट एंड इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन – 100 में से 91 पद खाली हैं.
हालांकि पुष्पम प्रिया चौधरी की इस बात का जेडीयू ने भी जवाब दिया है. पार्टी के नेता अजय आलोक ने कहा कि बिहार में पॉलिटिकल मशरूम की खेती खत्म हो गई है. जो थोड़ी बहुत सड़ी-गली बची है वह भी खत्म हो जाएगी. जहां तक बिहार में वैकेंसी की बात है तो सभी विभागों में तेजी से वैकेंसी निकाली जा रही है और जल्द ही देखियेगा की सभी विभागों के अधिकतर पद भर दिए जाएंगे.
अजय आलोक ने पुष्पम प्रिया चौधरी पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार में वह विदेश से चुनाव लड़ने आई थीं, इसलिए उनका काफी सारा पैसा भी खर्च हो गया होगा. मेरी तो व्यक्तिगत तौर पर यह सला है कि बिहार सरकार की नौकरियों के लिए किसी वैकेंसी के लिए वह खुद को उपयुक्त पाएं तो अपने नाम से एक आवेदन दे दें. उन्हें नौकरी मिली तो घाटे की थोड़ी बहुत तो भरपाई हो ही जाएगी.
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