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BJP की जीत के लिए 6 साल तक नंगे पांव घुमा ये कार्यकर्ता, अब खुद शिवराज चौहान ने पहनाया जूता…

भाजपा को कैडर आधारित पार्टी कहा जाता है. ये जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ता ही होते हैं जिनकी बदौलत बीजेपी अपना बूथ मैनेजमेंट करती है. चुनावों में भगवा पार्टी के कार्यकर्ता हर बूथ को जिताने के लिए जी जान से जुटते हैं.

बीजेपी के ऐसे ही एक जुझारू कार्यकर्ता हैं रामदास पुरी, जो मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के रहने वाले हैं. वह अनूपपुर के भाजपा जिलाध्यक्ष हैं.

रामदास सर्दी, गर्मी और बरसात की परवाह किए बिना गत 6 वर्षों से नंगे पांव रह रहे थे. वजह थी 2018 एमपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार. रामदास पुरी ने तब संकल्प लिया था कि जब तक भाजपा मध्य प्रदेश में दोबारा चुनाव जीतकर सत्ता में नहीं आती, तब तक वह नंगे पांव रहेंगे. भाजपा ने मध्य प्रदेश सरकार तो 2020 में ही बना ली थी, लेकिन यह विधानसभा चुनाव जीतकर नहीं बनी थी.

ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के 20 से ज्यादा विधायकों ने बगावत कर दी थी, जिसके बाद कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आकर गिर गई थी. इस मौके का फायदा उठाकर बीजेपी ने सरकार बनाई और उपचुनाव में बहुमत भी हासिल कर लिया. लेकिन रामदास ने अपना संकल्प नहीं तोड़ा. वह अगले विधानसभा चुनाव परिणामों का इंतजार करते रहे. उनका यह संकल्प 3 दिसंबर 2024 को पूरा हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद अनूपपुर पहुंचकर रामदास पुरी को अपने हाथों जूता पहनाया.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘रामदास पुरी जैसे कार्यकर्ता पार्टी की शक्ति और पूंजी हैं. अनूपपुर के भाजपा जिला अध्यक्ष ने संकल्प लिया था कि जब तक प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं बनेगी, तब तक वह जूते-चप्पल नहीं पहनेंगे. प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गयी और उनका संकल्प पूरा होने पर हमने उन्हें आज जूते धारण करवाये हैं. ऐसे समर्पित व कर्मठ कार्यकर्ता पर भाजपा को गर्व है और ऐसे ही कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को भी पूरा करके अपने देश को समृद्ध और विकसित बनाने में योगदान देंगे. मैं रामदास को प्रणाम करता हूं’.

बता दें कि हाल में समाप्त हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 163 जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया. कांग्रेस ​महज 66 सीटों पर सिमट गई. उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव को बीजेपी ने राज्य का मुख्यमंत्री बनाया. वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव में एमपी की सत्ता में 15 साल से काबिज भाजपा को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि बीजेपी 109 सीटें जीत सकी थी. कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया था, मगर उनकी सरकार महज 15 महीने चल सकी थी.

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