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521 वर्ष से भी अधिक पुराना है बिहार के पटना सिटी का गौरीशंकर मंदिर, जानिए खासियत

मंदिर न्यास समिति के सचिव विश्वनाथ चौधरी बताते है कि कभी गंगा नदी मंदिर के पास से बहती थी, गंगा तट पर बने इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कब हुई, इसका कोई प्रमाण तो नहीं है, उपलब्ध तथ्यों के अनुसार यह स्पष्ट था कि यहां गंगा बहती थी, अब गंगा दूर हो गयी है।

सौम्य ललाट, सिर पर चांद त्रिपुड चंदन आभा विखेरती भगवान गौरीशंकर मंदिर में यूं तो सालों भर श्रद्धालु जुटते हैं, लेकिन सावन में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। मंदिर में सालों भर धार्मिक अनुष्ठान व विवाह संपन्न होता है।

सावन में रूद्राभिषेक व रामकथा, शिवरात्रि में शिव विवाह का अनुष्ठान होता है। इसके अलावा जन्माष्टमी व अन्य धार्मिक आयोजन यहां होता है। सोमवारी व पूर्णिमा को यहां पर शाम के समय विशेष शृंगार होता है। ऐतिहासिक गौरीशंकर मंदिर 521 वर्ष से भी अधिक प्राचीन मंदिर है।

Historical Gaurishankar Temple Ancient temple more than 521 years old
ऐतिहासिक गौरीशंकर मंदिर 521 वर्ष से भी अधिक प्राचीन मंदिर

मंदिर के पास बहती थी गंगा नदी

मंदिर न्यास समिति के सचिव विश्वनाथ चौधरी बताते है कि कभी गंगा नदी मंदिर के पास से बहती थी, गंगा तट पर बने इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कब हुई, इसका कोई प्रमाण तो नहीं है, उपलब्ध तथ्यों के अनुसार यह स्पष्ट था कि यहां गंगा बहती थी, अब गंगा दूर हो गयी है।

Lord Gaurishankar Temple
भगवान गौरीशंकर मंदिर

सचिव की मानें तो मुगल शासन काल के दौरान मंदिर व शिवलिंग को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा हुई, नुकसान पहुंचाने के लिए जो कील ठोका गया, वह कील आज भी मंदिर में है।

गाय करती थी अभिषेक

सदस्य राजेंद्र प्रसाद, नवीन सिन्हा ने बताया खरपैल में स्थापित शिव मंदिर की सेवा करने के लिए सोनपुर के गंडक स्थिति हरिहर नाथ मंदिर से एक संत यहां आये थे, संत अपने साथ गऊ को भी लाये थे, गंगा नदी के किनारे मंदिर होने की वजह से गाय प्रतिदिन गंगा में स्नान कर दुग्धाभिषेक करती थी।

Huge crowd of devotees gathers in Gaurishankar temple in Sawan
सावन में गौरीशंकर मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है

संत ने जब मंदिर में शरीर त्यागा, तब आसपास के लोगों ने मंदिर के पास ही उनकी समाधि बना दी। जो आज भी मंदिर के पास में विराजमान है। सोमवारी के दिन मंदिर के बाहर सावन सोमवी का मेला लगता है। दूर दराज से भक्त दर्शन पूजन के लिए आते हैं।

भक्तों की है आस्था

शिव भक्तों का कहना है की मंदिर में आस्था इतनी है कि बचपन से ही वो भोले बाबा के दरबार में आते है। अधिकांश धार्मिक अनुष्ठान व भंडारा का प्रसाद ग्रहण करने के लिए शामिल होते है। सावन माह में परिवार के साथ प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना के लिए रूद्राभिषेक का अनुष्ठान परिजन के साथ करते है।