BIHARBreaking NewsSTATE

वह बाहुबली जिसने बिहार में सुनाई थी AK-47 की पहली गर्जना, खादी और खाकी का था खतरनाक कॉकटेल

बेगुसराय/मुजफ्फरपुर: बिहार की राजनीति को समझने के लिए यहां के बाहुबलियों के बारे में भी जानने की जरूरत है। आज ये दावा जरूर किया जा रहा है कि बिहार के चुनाव में बाहुबल और अपराध का दौर थम चुका है, लेकिन विधानसभा में मौजूद चेहरों पर नजर डालें तो कुछ और ही कहानी देखने को मिलती है। इसी बात का ध्यान रखते हुए नवभारत टाइम्स.कॉम अपने पाठकों को हर रोज एक ऐसे बाहुबली की कहानी बता रहा है जिसने बिहार की राजनीति को प्रभावित किया। बाहुबलियों में कुछ सफेदपोश बन गए तो कईयों का जीवन अपने खादीधारी आका के लिए बूथ कैप्चरिंग में ही निकल गया। बिहार की राजनीति में जब आपराधिक छवि का शख्स चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बन जाता है तो उसे बाहुबली कहा जाने लगता है। इसलिए हम भी ऐसे लोगों की कहानी आप तक खासकर नई जेनरेशन के लोगों तक पहुंचाने के लिए इन्हें बाहुबली कहकर संबोधित कर रहे हैं। आज हम उस बाहुबली की बात करेंगे जो बिहार में पहली बार एके 47 जैसा हथियार लेकर आए और अपराध को अंजाम देने में उसका प्रयोग किया। इतना ही नहीं वह ऐसा कुख्यात था जिसकी एक तस्वीर तक बिहार पुलिस के पास नहीं थी। जी हां! आपमें से कुछ लोग समझ चुके होंगे कि उस बाहुबली का नाम है अशोक सम्राट।

Sponsored

अशोक सम्राट की गोरखपुर तक बोलती थी तूती

Sponsored

नाम देखकर कन्फ्यूज मत होइए, ये भारतवर्ष के वैभवशाली इतिहास का हिस्सा रहे अशोक सम्राट की कहानी नहीं है। यह 1990 के दशक में बिहार के बड़े हिस्से में अपने खौफ से चुनाव को प्रभावित करने वाले अशोक सम्राट की कहानी है। आज बिहार के ज्यादातर आपराधिक गिरोह के पास एके 47 राइफल है, लेकिन इस घातक हथियार को इस पवित्र धरती पर सबसे पहले अशोक सम्राट लेकर ही आया। इस बात की पुष्टि एनआईए भी कर चुकी है। माना जाता है कि अशोक सम्राट बिहार में AK47 उस दौर में यूज कर रहा था जब बिहार पुलिस ने इसे देखा तक नहीं था। यह बात 1990 के दशक की है। बेगुसराय की धरती पर पैदा हुए अशोक सम्राट अपने दौर के सबसे बड़े बाहुबली यूं कहें कि गैंगस्टर थे। उनकी तूती गोरखपुर तक बोलती थी।

Sponsored

रेलवे ठेका का ‘किंग’ बन गया था अशोक सम्राट

Sponsored

उस दौर में बेगुसराय और मुजफ्फरपुर में दो कंपनियां थीं एक रीता कन्स्ट्रक्शन और दूसरा कमला कन्स्ट्रक्शन। ये दोनों कंपनियां रेलवे का ठेका लिया करती थीं। इसमें एक कंपनी बीजेपी नेता रामलखन सिंह की थी तो दूसरी के मालिक रतन सिंह थे। रतन सिंह की कंपनी को ठेका दिलाने के लिए अशोक सम्राट अपने बाहुबल का प्रयोग करते थे। वहीं रामलखन सिंह की कंपनी को ठेका दिलाने के लिए मोकामा के बाहुबली सुरजभान सिंह (सूरज सिंह) काम करते थे। बिहार पुलिस से रिटायर हो चुके अफसरों की मानें तो रेलवे का ठेका पाने के लिए उस दौर में सूरज सिंह और अशोक सम्राट में वर्चस्व की जंग चल रही थी। इस जंग में खुद को बीस साबित करने के लिए अशोक सम्राट ने पंजाब में सक्रिय खालिस्तान समर्थकों से हाथ मिला लिया था। माना जाता है कि अशोक सम्राट को खालिस्तान समर्थकों ने ही AK47 राइफल सप्लाई की थी। हालांकि कुछ लोग ये भी कहते हैं कि अशोक सम्राट के संपर्क सेना में शामिल कुछ युवाओं से थे, जिस वजह से उसे आतंकियों के पास से जब्त AK47 राइफल मिले थे। ये जांच का विषय है कि आखिर दोनों बातों में से कौन सच है।

Sponsored

मुजफ्फरपुर के छाता चौक पर AK47 से हुई पहली हत्या

-ak47-

Sponsored

बिहार के वर्तमान डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय उस दौर में बेगुसराय के एसपी थे। उन्होंने सबसे पहले अशोक सम्राट गिरोह के लोगों से AK47 और सूरजभान सिंह के घर से AK 56 की जब्ती की थी। गुप्तेश्वर पांडेय उस दौर को याद करते हुए कहते हैं कि अशोक सम्राट पूरे बिहार का सबसे बड़ा अपराधी था। वह कानून को कुछ समझता ही नहीं था। 1993-94 में बेगुसराय में 42 मुठभेड़ हुए, जिसमें इतने ही लोग मारे गए। इसमें स्थानीय लोगों ने काफी मदद की। AK 47 से संभवत: पहली हत्या 1990 में हुई थी। अशोक सम्राट ने अपने पीए रहे मिनी नरेश की हत्या का बदला लेने के लिए मुजफ्फरपुर के छाता चौक पर AK 47 की गर्जना दिखाई थी। छाता चौक पर दिन दहाड़े अशोक सम्राट के गुर्गों ने थाने के ठीक बगल में बाहुबली चंद्रेश्वर सिंह की हत्या की थी।

Sponsored

राजनीतिक आकाओं के लिए वोट जुटाता था अशोक सम्राट

Sponsored

अशोक सम्राट की हनक के पीछे राजनीतिक ताकत भी थी। माना जाता है कि अशोक सम्राट का उस दौर के मंत्री और लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे बृजबिहारी प्रसाद से काफी अच्छे रिश्ते थे। अशोक सम्राट बेगुसराय, बरौनी, मोकामा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, लखीसराय, शेखपुरा और इसके आसपास के इलाकों में तय करता था कि चुनाव में किस उम्मीदवार को जीताना है। उसके गुंडे बूथ कैप्चरिंग से लेकर लोगों को डरा धमकाकर वोट दिलाने का काम करते थे। अशोक सम्राट से नजदीकी के चलते ही बृजबिहारी प्रसाद की पटना में हत्या हुई थी। माना जाता है कि उनकी हत्या यूपी के कुख्यात श्रीप्रकाश शुक्ला ने की थी। इस हत्याकांड में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी समेत कई लोग आरोपी बनाए गए लेकिन अब बरी हो गए हैं।

Sponsored

आनंद मोहन की पार्टी से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे अशोक सम्राट

Sponsored

अशोक सम्राट की ताकत इतनी बढ़ गई थी कि वह सरकार और प्रशासन को चुनौती देने लगा था। उस दौर में लालू प्रसाद यादव नए-नए सत्ता पर काबिज हुए थे। माना जाता है कि प्रशासन को अपने पीछे देख अशोक सम्राट ने खादी पहनने की चाहत पाल ली थी। आनंद मोहन की पार्टी से उसका टिकट भी पक्का हो गया था। लेकिन उसका मंसूबा पूरा हो पाता उससे पहले ही वह पुलिस की गोली का शिकार हो गया।

Sponsored

पुलिस की पिस्टल के सामने फेल रही अशोक सम्राट की AK 47

-ak-47

Sponsored

अशोक सम्राट का एनकाउंटर बिहार पुलिस के जांबाज ऑफिसर शशिभूषण शर्मा ने की थी। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट शशिभूषण शर्मा ने पूरी नौकरी में करीब 35 लोगों को ठिकाने लगाया है। इस लिस्ट में सबसे कुख्यात अशोक सम्राट ही माना जाता है। अशोक सम्राट के एनकाउंटर का वाक्या भी काफी दिलचस्प है। बताया जाता है कि 5 मई 1995 को अशोक सम्राट का एनकाउंटर हाजीपुर में हुआ था। उस दौर में शशिभूषण शर्मा वहां के इंस्पेक्टर इंचार्ज थे। पुलिस को सूचना मिली थी कि सोनपुर रेलवे में टेंडर होने वाला है, जिसमें अशोक सम्राट आने वाला है। ये पुष्ट नहीं था कि वह अशोक सम्राट ही है। सूचना के आधार पर 5 पुलिसकर्मी अपराधियों के ठिकाने का पता लगाने के लिए गस्त पर थे। इसी दौरान दिन में करीब एक बजे लक्ष्मणदास मठ के पास एक गाड़ी में एक शख्स राइफल लेकर बैठा दिखा। इसके बाद पुलिस ने अपनी जीप उस गाड़ी के सामने लगा दी। ऐसा होते ही गाड़ी से 5-6 लोग निकले और फायरिंग शुरू कर दी। अपराधियों के पास AK47 था जबकि पुलिस के पास पिस्टल और 3नॉट3 बंदूक थी।

Sponsored

बिहार पुलिस ने ऐस अशोक सम्राट को किया ढेर

Sponsored

पुलिस की जवाबी कार्रवाई के बाद अपराधी गाड़ी में दोबारा सवार हो गए और भागने की कोशिश करने लगे। पुलिस वालों ने फायरिंग जारी रखा। तब चार अपराधी वहां से पैदल ही भागने लगे। पुलिस को देख गांव वाले भी अशोक सम्राट और उसके लोगों का पीछा करने लगे। अशोक सम्राट और उसके लोगों की ओर से गोलियां चलाने की वजह से कई ग्रामीण भी घायल हो गए, जिसमें से एक की बाद में मौत हो गई। ये अपराधी एक झोपड़ी में छुप गए थे, जिसे ग्रामीणों ने आग लगा दी थी। हालांकि शाम चार बजे तक अपराधियों की तरफ से गोलीबारी शांत हो गई, जिसके बाद पुलिस ने अशोक सम्राट के मौत की पुष्टि की। इस एनकाउंटर के बाद अशोक सम्राट के पास से दो AK47 और भारी मात्रा में गोलियां बरामद की गई। इस तरह खाकी और खादी के कॉकटेल अशोक सम्राट का खात्मा हो गया। अशोक सम्राट के इनकाउंटर से पहले शर्मा नौ साल तक सस्पेंड रहे थे। अशोक सम्राट इनकाउंटर के बाद उन्हें आउट ऑफ टर्म प्रमोशन मिला। शर्मा को प्रेसिडेंट मेडल तक से नवाजा गया। वह डीएसपी बना दिए गए।

Sponsored

Comment here