देश का इकलौता डॉल्फिन रिसर्च सेंटर बिहार की राजधानी पटना में बनने जा रहा है। इसका निर्माण कार्य शुरू हो गया है। गंगा के किनारे पटना यूनिवर्सिटी की करीब 2.5 एकड़ जमीन पर निर्माण होगा।
16 अप्रैल से पाइलिंग होगी। करीब 30 करोड़ की लागत से जी प्लस टू बिल्डिंग का निर्माण होगा। भवन निर्माण विभाग द्वारा इसका निर्माण किया जा रहा है। जून 2023 में इसका उद्घाटन करने का लक्ष्य है।
डॉल्फिन संरक्षण के लिए बन रहा सेंटर
भवन निर्माण होने के बाद पिलर, दीवार या जमीन में किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए मिट्टी जांच की जा रही है। मिट्टी जांच की रिपोर्ट लैब से 15 दिन के अंदर रिपोर्ट आ जाएगी। डॉल्फिन के संरक्षण के लिए यह सेंटर बन रहा है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने गंगा नदी से 200 मीटर की दूरी के अंदर डॉल्फिन सेंटर का निर्माण करने के लिए नगर विकास विभाग से अनुमति मांगी थी।
नगर विकास विभाग ने 10 महीने पहले इसकी स्वीकृति दी। दरअसल, गंगा से 200 मीटर की दूरी पर भवन निर्माण करने पर रोक है। अनुमति मिलने के बाद प्रक्रिया में तेजी आई।
नेपाल और बांग्लादेश के छात्र भी करेंगे रिसर्च
भारत के बिहार, असम, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल में डॉल्फिन पाई जाती है। गंगा के साथ ही चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी और ब्रह्मपुत्र नदियां डॉल्फिन के लिए बेहतर हैं।
सेंटर खुलने के बाद देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ नेपाल और बांग्लादेश के छात्र भी डॉल्फिन पर रिसर्च करने के लिए यहां आएंगे।
वहीं यूनिवर्सिटी की जमीन पर सेंटर निर्माण होने से इसका फायदा पटना यूनिवर्सिटी के छात्रों को सीधे मिलेगा। यूनिवर्सिटी के छात्रों को भी शोध करने का मौका मिलोगा।
2021 के सर्वे में गंगा नदी में 1448 डॉल्फिन दिखी
बिहार से गुजरने वाली गंगा नदी में डॉल्फिन की संख्या अधिक है। 2021 के सर्वे में गंगा नदी में 1448 डॉल्फिन दिखी थी। यूपी बॉर्डर चौसा से कटिहार के मनिहारी तक गंगा नदी में डॉल्फिन का सर्वे किया गया था।
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साथ ही गंगा के दो सहायक नदी कोसी और घाघरा नदी में डॉल्फिन का सर्वे हुआ था। इसमें 195 डॉल्फिन मिली थी।
8 साल तक लटका रहा प्रोजेक्ट
वर्ष 2013 में केंद्र सरकार की तरफ से रिसर्च सेंटर के निर्माण के लिए 19 करोड़ रुपए मिले थे। इसके लिए पटना लॉ कॉलेज के पास गंगा तट पर पटना विश्वविद्यालय की भूमि चिह्नित की गई थी। लेकिन भूमि हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को लेकर यह प्रोजेक्ट कई वर्षों तक फंसा रहा।
5 अक्टूबर, 2018 को विश्व डॉल्फिन दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमीन नहीं मिलने पर डॉल्फिन रिसर्च सेंटर को भागलपुर स्थानांतरण करने की बात कही थी।
इसके बाद पटना विश्वविद्यालय ने अपनी जमीन वन विभाग को दी। अब इसका बजट बढ़कर 30 करोड़ हो गया है।
बिहार में तेजी से बढ़ रही है डॉल्फिन की संख्या
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का बिल्डिंग अगले साल बनकर तैयार हो जाएगी।
भवन निर्माण विभाग के द्वारा बिल्डिंग निर्माण करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बिहार के गंगा नदी में डॉल्फिन की संख्या तेजी बढ़ रही है।
डॉल्फिन के भोजन में कमी न हो इसके लिए गंगा नदी में छोटे मछलियों को मारने पर प्रतिबंध है। जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डॉल्फिन विशेषज्ञ डाॅ. गोपाल शर्मा ने कहा कि गांगेय डॉल्फिन विलुप्त न हो इसके लिए पटना में रिसर्च सेंटर बहुत उपयोगी होेगा। डॉल्फिन कहीं जख्मी मिलती है तो उसे लाकर इलाज किया जाएगा।