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मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में हुआ 10 माह के बच्चे का इलाज, बिहार के सहरसा सदर अस्पताल का बुरा हाल

PATNA/SAHARSA : टॉर्च की रोशनी में 10 माह के मासूम का इलाज, 7 गंभीर मरीजों की जान पर आफत, बिजली के अभाव में ऑक्सीजन सप्लाई हो गई थी बंद, बच्चे का ऑक्सीजन लेवल था 30 : सदर अस्पताल में मंगलवार की शाम सभी वार्डों की बिजली कट गई। लगभग 45 मिनट तक बिजली गुल रही। इस दौरान सदर अस्पताल में संचालित जरनेटर भी बंद रहा। जिसके कारण इमरजेंसी वार्ड में ऑक्सीजन बंद हो गया। 45 मिनट के दौरान सदर अस्पताल में दमा रोग से पीड़ित 7 मरीजों की सांसें अटक गई।

वहीं, सर्पदंश के शिकार 10 माह के बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए चिकित्सक डॉ. जमाल हाथ पैर चलाते रहे। वे सदर अस्पताल के कर्मियों को डांट-डपट लगाते रहे। आखिरकार लगभग 45 मिनट बाद जनरेटर में डीजल डाला गया तब जरनेटर चला। इसके बाद इमरजेंसी में लगे ऑक्सीजन के पाइप से ऑक्सीजन की आपूर्ति होने लगी। दमा रोग से ग्रसित सभी सातों मरीज की जान में जान आई। साथ ही सांप कटे बच्चे को भी ऑक्सीजन मिलने से उसकी टूटती सांसे मजबूत हुई। हालांकि चिकित्सक ने बच्चे की हालात को अभी भी काफी गंभीर बताया है।

बता दें कि सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के सभी बेडों तक पाइप लाइन से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है। ऑक्सीजन बिजली के द्वारा ही तैयार होती है और पाइप के सहारे मरीजों तक पहुंचाई जाती है। ऐसे में बिजली कटने के साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो जाती है। सदर अस्पताल में भर्ती दमा रोग से पीड़ित 7 मरीजों की जान अटक गई। साथ ही पूरे अस्पताल परिसर में अंधेरा फैल गया। मरीजों एवं उनके परिजनों के हाथों में हाथ से झेलने वाले पंखे दिखाई पड़ने लगे। सभी पसीने से लथपथ थे।

10 माह के अंकित के परिजन ने बताया कि काफी परेशान हूं। बच्चे को ऑक्सीजन की जरूरत है। लेकिन बिजली नहीं है। जिसके कारण ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। वहीं, दमा से पीड़ित पतरघट प्रखंड के कांप गोलमा निवासी लक्ष्मण यादव, बिहरा के बिहरा गांव निवासी सूरज किशोर प्रसाद साह , सपटियाही से पहुंचे मैमूल खातून, नवहट्टा के मुरादपुर गांव से पहुंचे कारी दास समेत अन्य मरीजों ने कहा ऑक्सीजन की सप्लाई बंद है। लग रहा जान निकल जाएगी। सांस नहीं ले पा रहे हैं। सदर अस्पताल नर्क है।

 

 

 

input – daily bihar

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