मिलिए इन 4 भाई-बहनों से, मुश्किलों को पछाड़कर चारों ने पास की UPSC परीक्षा, बने IAS-IPS – ये कहानी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के मिश्रा परिवार की है। जहां परिवार के सभी चार भाई-बहनों ने तीन से चार साल के भीतर न केवल यूपीएससी सीएसई परीक्षा क्लियर की, बल्कि IAS- IPS अधिकारी भी बने।उत्तर प्रदेश में रहने वाला मिश्रा परिवार के मुखिया अनिल मिश्रा अपनी पत्नी के साथ दो कमरे के एक मकान में रहते थे। उनके चार बच्चे हैं। दो बेटे और दो बेटियां। जिनका नाम हैं- योगेश, लोकेश, माधवी और क्षमा।
अनिल मिश्रा बतौर मैनेजर ग्रामीण बैंक में काम किया करते थे। बचपन से ही उनकी इच्छा थी कि उनके चारों बच्चे बड़े होकर नाम रोशन करें।
उन्होंने शुरू से ही बच्चों की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आने दी, वहीं बच्चे भी शुरुआत से पढ़ाई में काफी होशियार रहे हैं।सभी बच्चे पढ़ाई में अच्छे थे, ऐसे में बड़े बेटे योगेश ने सिविल सर्विसेज की तैयारी करने का सोचा, जिसके बाद बाकी भाई- बहनों ने भी बड़े भाई की तरह तैयारी शुरू कर दी।
योगेश मिश्र अपने भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। उन्होंने लोगों को UPSC civil service exam असफल होते देखकर खुद अफसर बनने की ठानी।योगेश मिश्र ने अपनी 12वीं तक पढ़ाई लालगंज के राम अंजोर मिश्र इंटर कॉलेज से की है।बता दें, योगेश मिश्रा IAS हैं। वह कोलकाता में राष्ट्रीय तोप एवं गोला निर्माण में प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं।
-2014 में UPSC की परीक्षा पास की।
-योगेश मिश्र की नियुक्ति कोलकाता, अमेठी, मुम्बई, शाहजहांपुर शहरों में हो चुकी है। अभी योगेश मिश्र की
-अभी कहां पर नियुक्ति ? -शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश
-जब उनसे पूछा गया कि उन्हें अफसर बनने का आईडिया कैसे आया ? तब उन्होंने जवाब में कहा कि – दूसरे लोगों को UPSC civil service exam में कई बार असफल होते देखकर उन्हें अफसर बनने का सोच लिया था।
-वह खुद MNNIT Allahabad से कंप्यूटर इंजीनियर हैं।
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योगेश मिश्र के बाद दूसरे नंबर पर है माधवी मिश्र। जिन्होंने साल 2014 में यूपीएससी की परीक्षा पास की। उनकी 62वीं रैंक आई थी।
इन्होंने भी अपनी प्राथमिक शिक्षा 12वीं तक लालगंज के राम अंजोर मिश्र इंटर कॉलेज से की।
UPSC परीक्षा वर्ष-2015 IAS झारखंड कैडर
माधवी मिश्र को पहली नियुक्ति – धनबाद, जमशेदपुर, हजारीबाग, लातेहार, रामगढ़ में मिली।
वर्तमान में माधवी मिश्र रामगढ़( झारखंड) में बतौर DM कार्यरत है।
माधवी मिश्र की जिदंगी से जुड़े कोई खास बातें-
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वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में MA इकोनॉमिक्स की topper रही हैं। indian economic service में चयनित हो चुकी हैं। Indian economy में माहिर है। साथ ही माधवी Essay लिखने की कला में निपुण है।
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इस बीच, योगेश के छोटे भाई लोकेश ने यूपीएससी CSE 2014 में रिजर्व लिस्ट में अपना नाम भी पाया। जिसके बाद उन्होंने एक और बार परीक्षा देने का फैसला किया।
लोकेश ने पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली (IIT-D) से इंजीनियरिंग पूरी करके अपने परिवार को गर्व महसूस कराया था।
जिन्होंने साल 2014 में यूपीएससी की परीक्षा पास की। उनकी 62वीं रैंक आई थी।
लोकेश ने सोशियोलॉजी को मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप में चुना था क्योंकि उनके बड़े भाई योगेश ने भी इसी विषय को चुना था।साल 2015 में, उन्होंने परीक्षा पास की और 44वीं रैंक हासिल की। वह अपने परिवार के तीसरे सदस्य थे, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की थी।
प्रारंभिक शिक्षा-12वीं तक लालगंज के राम अंजोर मिश्र इंटर कॉलेज से हुई है। इसके बाद उन्होंने IIT दिल्ली से BTech की। World history में जानकार।
UPSC परीक्षा वर्ष-2016 IAS झारखंड कैडर(पहले बिहार में थे)
पहली नियुक्ति कहां-कहां मिली – चंपारण, छपरा(बिहार), रांची,कोडरमा(झारखंड)
अभी कहां पर नियुक्ति ? कोडरमा, झारखंड।
लोकेश UP PCS में BDO के पद पर चयनित हो चुके हैं।
चौथे नंबर पर क्षमा हैं, जिन्होंने साल 2015 में यूपीएसी की परीक्षा पास की थी। उनकी 172वीं रैंक आई थी। बता दें, साल 2015 मिश्रा परिवार के लिए काफी शानदार था, क्योंकि उसी साल यूपीएससी CSE की लिस्ट में घर के दोनों बच्चों का नाम था। क्षमा का सेलेक्शन 2015 में डिप्टी SP के रूप में हुआ था। इससे वह संतुष्ट नहीं थीं, जिसके बाद उन्होंने 2016 में फिर से परीक्षा देने की सोची। जिसके बाद वह IPS बनीं।
हाइस्कूल एवं इंटर की बोर्ड परीक्षा में state topper रही हैं। UP PCS में चयनित हो चुकी हैं DySP के पद पर।
सभी बच्चों की सफलता में उनके माता-पिता का बड़ा योगदान है। एक इंटरव्यू में योगेश ने बताया था, हम सरकारी स्कूल से पढ़े हैं, जिसमें शुरू से ही हमें अनुशासन के बारे में बता दिया गया था।एक बहन ने बताया था कि हम सभी भाई-बहनों में एक-एक साल का अंतर है। वहीं हम दो कमरे के मकान में रहते थे। जिससे पढ़ाई करने में काफी दिक्कत आती थी। हालांकि हम सभी ने एक-दूसरे की पढ़ाई और अन्य चीजों में मदद की। इसी कारण आज हम इस मुकाम पर हैं।