बिहार में गाड़ियों का निबंधन 72 घंटों में करने का समय निर्धारित है। इसके बावजूद राज्य में करीब 52 हजार गाड़ियों का निबंधन लंबित है।
जिसमें राज्य में लगभग 14 फीसदी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन तय समय में नहीं हो पा रहा है। गाड़ियों का निबंधन करने में राज्य के 15 जिले फिसड्डी हैं। इनमें सबसे अधिक पटना में गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन लंबित है।
पोर्टल के मुताबिक…
वाहन पोर्टल के अनुसार इस वर्ष आज तक तीन लाख 79 हजार से अधिक गाड़ियां बिकी हुई हैं, जिनमें से 51 हजार 951 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन लंबित है। इनमें से 45 हजार से अधिक नयी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन लंबित है।
वहीं, 1754 ऐसी गाड़ियां हैं, जो दूसरे राज्यों से खरीदी गयी हैं। 4806 अस्थायी वाहन हैं, जिनको रजिस्ट्रेशन दिया जाना है। बाकी अन्य प्रकार के वाहन हैं।
निबंधन करने में पटना सबसे पीछे
गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन करने के मामले में पटना सबसे पीछे है। पटना में 6198 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। उसके बाद बेतिया है, जहां 3428 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका है।
सर्वर की खराबी मुख्य कारण
तीसरे पायदान पर मोतिहारी है, जहां 3165 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन लंबित है। बेगूसराय में 2687, तो पांचवें पायदान पर गया है, जहां 2664 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन लंबित है।
अन्य जिले में रोहतास, छपरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, भोजपुर, दरभंगा, सीवान, वैशाली, नवादा व खगड़िया हैं। 15वें पायदान पर खगड़िया है। जहां 290 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन लंबित है।
डीटीओ ऑफिस से भी होती है देरी
सर्वर के माध्यम से कागजों को अपलोड कर भी दिया जाये, तो डीटीओ ऑफिस से गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन करने में देरी की जाती है।
एमवीआइ और डीटीओ की लापरवाही के कारण जिन गाड़ियों का कागज अपलोड हो भी जाये, तो उसका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाता है।
चूँकि गाड़ी मालिक खुद से रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकते हैं। ऐसे में लाखों रुपये खर्च करने पर भी लोग अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराने का इंतजार करते रहते हैं।
दो-चार दिनों बाद वाहन शोरूम में ही रह जाते हैं
गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में सर्वर की खराबी मुख्य कारण है। वाहन एजेंसी की ओर से गाड़ियों के दस्तावेज अपलोड करने में परेशानी होती है और बार-बार फेल हो जाता है। सर्वर खराबी या धीमा काम करने के कारण गाड़ियों की बिक्री के दो-चार दिनों बाद तक वह शोरूम में ही पड़ी रही जाती हैं।
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