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बिहार में बालू पट्टे के लिए नियम हुए सख्त, सरकार ने किए तीन अहम बदलाव; यहां जानें सबकुछ

अक्टूबर से राज्य में बालू का खनन नई नीति के तहत होगा। नई नीति से खनन प्रारंभ करने के पूर्व सरकार ने पहले के कई नियमों में बदलाव कर दिए हैं। इन परिवर्तनों पर मंत्रिमंडल की मुहर भी लग चुकी है। खान एवं भू-तत्व विभाग ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। 2019 में बनी नीति में तीन अहम संशोधन किए गए हैं। नए नियम इस वर्ष 2022-23 से ही प्रभावी माने जाएंगे। नीति 2019 में संशोधन के पूर्व यह व्यवस्था थी कि नीलामी के बाद उच्चतर बीडर को नीलामी राशि के 10 प्रतिशत का भुगतान प्रतिभूति (सिक्योरिटी) जमा के लिए रूप में करना होगा। इसके बाद ही स्वीकृति का आदेश बीडर के पक्ष में जारी किया जाएगा। नई व्यवस्था में उच्चतम बोली लगाने वाले को नीलामी राशि का 10 नहीं बल्कि 25 प्रतिशत हिस्सा प्रतिभूति के रूप में जमा करना होगा।

एक बदलाव और भी हुआ है। पूर्व में व्यवस्था थी कि प्रतिभूति जमा के अलावा बंदोबस्तधारी को बंदोबस्त की शेष राशि की पहली किस्त यानी 50 प्रतिशत की किस्त बालू खनन का आदेश जारी होने के बाद जमा करनी होगी। अन्य 50 प्रतिशत 25-25 प्रतिशत के रूप में दो किस्त में जमा करना होगा। 25 प्रतिशत की दूसरी किस्त जमा करने के लिए सरकार ने 15 मार्च और तीसरी किस्त के लिए 15 जून का समय निर्धारित किया था। नई व्यवस्था में दूसरी किस्त खनन के तीन महीने पूरे होने पर जबकि तीसरी किस्त छह महीने पूरे होने पर जमा करनी होगी।

पुराने नियमों में एक नया नियम भी जोड़ा गया है, जिसके बाद बंदोबस्तधारी जब सरकार को 50 प्रतिशत की पहली बंदोबस्त राशि की किस्त देगा उसी वक्त वे सरकार को दो पोस्ट डेटेड चेक भी देंगे। यह चेक सरकार के पास गारंटी के रूप में रहेंगे। पूर्व में पोस्ट डेटेड चेक जमा करने जैसा कोई प्रविधान नहीं था। बता दें कि अक्टूबर से राज्य के 28 जिलों में खनन कार्य वापस शुरू होगा, जिसमें यह सभी बदलाव प्रभावी हो जाएंगे।

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