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बिहार में नीतीश सरकार ने लिया चकबंदी कराने का फैसला, सभी खेतों का बनेगा नया खतियान

PATNA-चकबंदी सलाहकार समिति के पदेन सदस्य होंगे पंचायत प्रतिनिधि, भूमि सर्वेक्षण पूरा होने के तत्काल बाद चकबंदी शुरू होगी : राज्य में भूमि सर्वेक्षण पूरा होने के तत्काल बाद चकबंदी भी शुरू होगी। सर्वेक्षण के बाद मानचित्र एवं खतियान के आधार पर ही चक काटने का काम होगा। चकबन्दी के बाद संबंधित मौजों में प्लॉटों की संख्या काफी कम हो जाएगी। खतियान भी नया बन जाएगा। चकबन्दी का यह काम एक गांव को कई सेक्टर में बांट कर किया जाता है। सेक्टर का निर्धारण जमीन की कीमत एवं उसकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर तय होता है। चकबंदी हो जाने के बाद किसी भी उद्योगपति को जमीन और उसके मालिक की जानकारी मिल जाएगी। चकबन्दी पूरा होने के बाद म्यूटेशन सहित राजस्व के सारे काम इसी के जरिए संपादित होंगे और भू-अर्जन में भी आंकड़े जुटाने में सरकार को सहूलियत होगी।

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नये पंचायत प्रतिनिधियों की चकबंदी में बड़ी भूमिका होगी। अधिकारियों को अपने क्षेत्र की चकबंदी में इनकी सलाह माननी होगी। चकबंदी के लिए बनने वाली सलाहकार समितियों के ये पंचायत प्रतिनिधि पदेन सदस्य होंगे। कमेटी का गठन चकबंदी अधिकारी नहीं करेंगे। राजस्व व भूमि सुधार विभाग चकबंदी से जुड़े कानून में ऐसे कई संशोधन करने जा रहा है। प्रस्ताव तैयार है, केवल सरकार की मंजूरी का इंतजार है। विधि और वित्त विभाग के प्रस्ताव पर सहमति पहले ही मिल चुकी है। राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने संशोधन के लिए जो प्रस्ताव तैयार किया है उसके अनुसार गांव में सलाहकार समितियों का स्वरूप बदल जाएगा। पहले गांव की सलाहकार समितियों का गठन चकबन्दी पदाधिकारी करते थे। उनकी मर्जी से गांव की ग्रामीण समिति का सदस्य होता था।

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लेकिन अब प्रस्तावित संशोधन के बाद पंचायतों के नये चुने हुए जन प्रतिनिधि अर्थात मुखिया, वार्ड सदस्य, सरपंच, पंच, पंचायत समिति सदस्य ही अपने गांवों के चकबन्दी की सलाहकार समितियों के पदेन सदस्य होंगे। सलाहकार समितियां चकबन्दी में सरकार को जरूरी सलाह देने का काम करती हैं। हाल के दिनों में चकबंदी निदेशालय ने चकबंदी एक्ट में कई संशोधन किए हैं। इसके प्रस्ताव पर विधि विभाग की सहमति हो चुकी है। सभी संशोधन लागू होने के बाद अनुमंडल पदाधिकारी एवं भूमि सुधार उप समाहर्ता को चकबन्दी के बाद नये बने चकों पर दखल-कब्जा दिलाने के काम में शामिल किया जाएगा। पहले यह सब काम चकबंदी अधिकारियों के जिम्मे होता था। इस काम में प्रशासनिक अधिकारियों या जनप्रतिनिधियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होता था।

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