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बिहार में चलेगा प्राइवेटाइजेशन सरकार, सरकारी कंपनी और संपत्ती को बेचकर मुनाफा कमाएगी नीतीश सरकार

मोनेटाइजेशन – केंद्र की तरह अपनी संपत्तियों को लीज देकर राजस्व जुटाएगी बिहार सरकार, पटना में पाटलिपुत्र होटल, बांकीपुर बस स्टैंड, सुल्तान पैलेस के भी मोनेटाइजेशन का प्रयास, नीति आयोग ने गाइडलाइन भेजी, विभागों में नामित होंगे नोडल अधिकारी, मोनेटाइजेशन, निजीकरण व विनिवेश में अंतर क्या? : केंद्र की तर्ज पर बिहार सरकार भी एसेट मोनेटाइजेशन करेगी। नीति आयोग ने भी राज्य सरकार को एसेट मोनेटाइजेशन करने का निर्देश दिया है। आयोग से मिले निर्देश के बाद राज्य सरकार ने भी इस दिशा में तैयारी शुरू कर दी है।

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वित्त और योजना एवं विकास विभाग ने सभी विभागों को पत्र लिखकर ऐसी सरकारी परिसंपत्तियों की सूची तैयार करने के लिए कहा है,जिनका मोनेटाइजेशन किया जा सकता है। नीति आयोग ने किन-किन तरह की परिसंपत्तियों का मोनेटाइजेशन किया जा सकता है,उनकी सूची भी राज्य को भेजी है। इसी सूची के अनुरूप राज्य सरकार ने अपने विभागों को कॉमर्शियल जमीन, भवन, सरकारी होटल, गेस्टहाउस, बस स्टैंड की जमीन और बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयां की लिस्ट बनाने को कहा है। इसके लिए विभागोें में नोडल अधिकारी भी नियुक्ति करने का आदेश दिया गया है।

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पटना में पाटलिपुत्र होटल, बांकीपुर बस स्टैंड, सुल्तान पैलेस के भी मोनेटाइजेशन का प्रयास
पटना में बांकीपुर बस स्टैंड, पाटलिपुत्र होटल और सुल्तान प्लेस के मोनेटाइजेशन के लिए राज्य सरकार प्रयास कर रही है। इन तीनों स्थानों पर पीपीपी मोड में होटल बनाने की योजना है। इसके अतिरिक्त परिवहन विभाग के अधीन राज्य के सभी जिलों में सरकारी बस स्टैंड तकरीबन प्राइम लोकेशन में हैं। इसे लीज पर देकर सरकार मोनेटाइज कर सकती है। वहीं पर्यटन विभाग के अधीन वाले होटल को भी मोनेटाइज किया जा सकता है। झारखंड में बिहार के स्वामित्व वाली औद्योगिक इकाइयों को भी सरकार लीज पर देगी।

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काॅमर्शियल जमीन-भवन, होटल, गेस्टहाउस, बस स्टैंड व फैक्टरियों पर नजर
जानेमाने अर्थशास्त्री प्रो.नवल किशोर चौधरी कहते हैं कि सरकार अपनी वित्तीय जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी संपत्तियों का मोनेटाइजेशन करती है। कोरोना के कारण सरकार के राजस्व पर दबाव है। सरकार अपनी सामाजिक-आर्थिक दायित्व को पूरा करने के लिए यह काम कर रही है। राजस्व बढ़ाने के दो ही तरीके हैं- पहला टैक्स बढ़ाकर और दूसरा संपत्ति को लीज पर देकर या बेचकर।

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विशेषज्ञ बोले-इसका उद्देश्य वित्तीय जरूरत पूरा करना
नीति आयोग ने अपने निर्देश में कहा है कि जिन सम्पतियों का अधिकतम उपयोग सरकार नहीं कर पा रही है, उनका मोनेटाइजेशन करे। कोरोना के कारण खराब वित्तीय स्थिति का मुकाबला करने के लिए यह जरूरी है। आयोग के अनुसार राजस्व जुटाने के लिए राज्य सरकार स्टेट हाईवे पर टोल भी लगा सकती है। अगर राज्य जरूरी समझे तो मोनेटाइजेशन के लिए नीति आयोग से सलाह ले सकता है।

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नीति आयोग ने कहा-हम सलाह देने के लिए तैयार
मोनेटाइजेशन में सरकार अपनी संपत्तियां लीज पर एक निश्चित अवधि के लिए प्राइवेट प्लेयर्स को देती है। इसके जरिये सरकार राजस्व जुटाती है। वहीं निजीकरण में सरकार अपने शेयर बेच कर माॅनिटरिंग की भूमिका में रह जाती है,प्रबंधन निजी कंपनियों के हाथों चला जाता है। जबकि, विनिवेश में सरकार के पास मेजॉरिटी शेयर रहता है,जिससे मैनेजमेंट भी सरकार के हाथों में ही रहता है।

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