अब बिहार में भी सोना, निकिल, क्रोमियम, पोटाश और कोयला का खनन शुरू होगा। इसकी कवायद शुरू हो गई है। बिहार के जमुई में देश का लगभग 44 प्रतिशत सोना मिलने की उम्मीद है। जमुई के सोनो में सोना वहीं औरंगाबाद में निकिल और क्रोमियम, गया में पोटाश जबकि भागलपुर में कोयला का खनन शुरू होगा। इससे लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और सरकार के राजस्व में इजाफा होगा।
विधान परिषद में 2022-23 के बजट पर चर्चा के दौरान शनिवार को राज्य सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री जनक राम ने बताया। सदन से बाहर निकल कर मंत्री ने कहा कि लोकसभा में केंद्रीय मंत्री ने भी कहा कि जीएसआइ ने इस बात की पुष्टि की है कि देश का लगभग 44 प्रतिशत सोना जमुई में मिल सकता है। मंत्री ने मीडिया को बताया कि राज्य में विभाग ने बालू के अवैध खनन के विरुद्ध लगातार कार्रवाई की है। इसका असर भी हुआ है।
सूत्रों की मानें तो भागलपुर के पीरपैंती और कहलगांव के नजदीक मौजूद कोयले का ग्रेड जी-12 उपलब्ध है। यहां लगभग 850 मिलियन टन कोयले के भंडार का पता लगा है। इन खनिज पदार्थों को निकालने के लिए टेंडर निकाला जायेगा। लगभग एक साल पूर्व निकिल, क्रोमियम और पोटैशियम पाये जाने के लिए अलग-अलग स्तर पर सर्वे हुआ था। अब राज्य सरकार को केंद्र सरकार ने इसके खनन का जिम्मा सौंपा है।
जमुई जिले के सोनो इलाके में 35.6 टन धातु अयस्क व 222. 88 मिलियन टन स्वर्ण धातु से संपन्न भंडार मिलने की बात कही जा रही है। बता दें कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि अकेले पूरे देश का 44 प्रतिशत सोना बिहार में है। इससे राज्य को लाभ होगा।
जानकारी के मुताबिक गया और औरंगाबाद जिले की बॉर्डर पर मदनपुर ब्लाक के डेंजना और नजदीक के इलाकों में लगभग आठ वर्ग किमी क्षेत्र में निकिल पाया गया है। इसे हवाई जहाज और मोबाइल में बड़े स्तर पर उपयोग किया जाता है। वहीं, रोहतास जिले में लगभग 25 वर्ग किमी क्षेत्र में पोटाश होने की बात सामने आई है। जिले का नावाडीह ब्लाक में 10 वर्ग किमी, टीपा प्रखंड में आठ किमी और शाहपुर प्रखंड में सात किमी का एरिया शामिल है। बता दें कि पोटाश का वृहद स्तर पर औषधि व रासायनिक खाद में उपयोग किया जाता है।
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