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बिहार की छोटी लता मंगेशकर, आंख से अंधा होने के बाद भी गाती है गज़ब गाना

आंखों में रोशनी नहीं, आवाज में है जादू:16 साल की दिव्यांग मानसी को लोग बोलते हैं लता मंगेशकर, गरीबी से गर्त में दिख रहा भविष्य : कटिहार जिले की मानसी की आवाज का हर कोई मुरीद हो रहा है। 16 साल की मानसी की आंखों में जन्म से ही रोशनी नहीं है, लेकिन उसकी आवाज की जादू गजब की है। गांव से लेकर जिले स्तर तक कई तरह के कार्यक्रमों में भी मानसी हिस्सा लेती है। जिले में वह किसी पहचान की मोहताज नहीं है।

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सुरीली आवाज की वजह से जिले के लोग उसे लता मंगेशकर भी बोलते हैं। गरीब घर से आने वाली मानसी के परिजनों को उसका भविष्य अंधेरे में दिखता है। उसके पिता गांव में ही सैलून चलाते हैं।

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कटिहार के दुर्गापुर मोहल्ले की रहने वाली मानसी गायकी के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर कुछ करना चाहती है, लेकिन गरीबी की वजह से उसको आगे की जिंदगी मुश्किल में लगती है। अपने माता-पिता की तीन संतान में सबसे छोटी मानसी है। इनके पिता मनोज शर्मा सैलून चलाकर पूरे परिवार का गुजारा करते हैं। मनोज कुमार का कहना है कि उनकी बेटी बहुत अच्छा गाती है। सरकारी मदद मिल जाए तो वह राष्ट्रीय स्तर पर कटिहार और बिहार का नाम ऊंचा कर सकती है।

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मानसी को जिला स्तरीय कार्यक्रम से लेकर राज्य स्तरीय कार्यक्रमों में शिरकत करने पर दर्जनों पुरस्कार मिल चुका है। मानसी अभी 10वीं की पढ़ाई कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से कर रही है। तीन साल पहले यह अपने ही घर में खाना पकाने के दौरान गैस सिलेंडर में विस्फोट से जल भी गई थी। इसके बावजूद उसने गायिकी को जारी रखा। मानसी का कहना है कि वह घर में भी प्रैक्टिस करती है। बॉलीवुड गानों को सुनकर उसी अंदाज में गाने की कोशिश करती है।

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नेत्रहीन मानसी के इस हुनर और जज्बे को देखते हुए लायंस क्लब कटिहार की टीम ने इनके घर जाकर इन्हें प्रोत्साहित करते हुए हर संभव मदद कर रही है। लायंस क्लब कटिहार के पूर्व अध्यक्ष एवं लायंस इंटरनेशनल के पूर्व जीएसटी को-ऑर्डिनेटर लाइन पंकज पूर्वे ने बताया कि पूरी दुनिया में लगभग 14 लाख बच्चे नेत्रहीन हैं। दिव्यांग होने के बावजूद ईश्वर ने दिलों को छू लेने वाला स्वर दिया है।

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